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________________ २७ विधीयतां साधुजनानुषङ्गता कृतार्थयत्यन्यजन हि केवलम् ।। ५, ४२, उत्तरार्ध ।। राजा यमन: राजा यमन कालिन्दी नदी के तटवर्ती देशों के मण्डलाधिपति थे । वे अपने प्रताप से शत्रओं को उत्तापित करने वाले थे । अनेक राजाओं पर उनका शासन चलता था । वे रूप पर मुग्ध होने वाले एक विलासी राजा के रूप में हमारे समक्ष आते हैं । उनकी दृष्टि राजा प्रसेनजित् की रूपवती कन्या प्रभावती पर थी अत: वे उसकी मांग करते हैं और अस्वीकति मिलने पर उस राजा के साथ युद्ध करते हैं ।1 युद्ध में उनकी वीरता, उनकी शूरता, उनके उत्साह और तत्परता के दर्शन होते हैं। वे वीरता में किसी भी प्रकार राजा प्रसेनजित् से कम नहीं प्रतीत होते । वे उसे बराबर की टक्कर लेते हैं और कई बार राजा प्रसेनजित् को घेर भी लेते हैं। जीतते जीतते राजा यमन पार्श्व के आ जाने के कारण पराजित होते हैं और अपनी सेना के साथ युद्धस्थल से भाग निकलते हैं। राजा यमन के दुर्धर्ष साहस और उनकी वीरता को परखने के लिए दो श्लोक पर्याप्त हैं। देखिए - यमन: स्वबलव्यूहप्रत्यूहं वीक्ष्य सकुधा । जज्वाल ज्वालजटिलः प्रलयाग्निरिवोच्छिखः ।। ४, १५८ ।। एब-- धावति स्म ह्यारूद: सादिभिर्निजसै निकैः । यमनो यमवत् कुद्धः परानीकं व्यगाहत ।। ४, १५९ ॥ प्रकृतिचित्रण कवि पदमसुन्दर ने अपने महाकाव्य में प्रकृति के विभिन्न रूपों का चित्रण प्रस्तत किया है। पदमसुन्दर के वर्ण्य चित्र अधिकांशत: सहज स्वाभाविक रेखाचित्र के रूप में प्रस्तत किये गये हैं। इसके साथ ही उन्होंने चित्रात्मक शैली में भी प्रकृति का चित्रण किया है और इसी के अन्तर्गत प्रकृति का मानवीयकरणरूप अथवा संवेदनात्मक रूप भी दर्शाया है। उनके वर्ण्य विषयों के अन्तगत आकाशीय दृश्यों के चित्रण में सूर्योदय एबे सूर्यास्त का वर्णन, तारे, वायु, वर्षा तथा आकाशीय पुष्पवृष्टि के वर्णन आते . हैं । अन्य चित्रों जी की स्वाभाविक क्रीडा-केली. वृक्ष, सारस एवं चक्रवाक मिथुन तथा समेरु पर्वत के वर्णन आते हैं। 1. कवि पदमसुन्दर का राजा यमन का चित्रण इतिहासप्रसिद्ध विलासी राजाओं की याद दिलाता है। उदाहरण के रूप में हम पृथ्वीराज चौहान और संयुक्ता के प्रसंग का स्मरण कर सकते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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