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________________ जलयात्रा सामान्य रूप से १०८ कलश जल भरकर सौभाग्यवती महिलाओं व कन्याओं द्वारा शोभायात्रापूर्वक मन्दिर की वेदी पर लाये जाते हैं और उनसे वहाँ वेदी शुद्धि की जाती है । शुक्ल व केशरिया चाँवलों से शुद्ध भूमि में मंडल माँडा जावे । किसी जलाशय के समीप पहले से छानकर मंत्र पूर्वक जल से कलश भरवा देवें । घट स्थानोपयोगी मण्डल मण्डल के पूर्व या उत्तर मुख विनायक यन्त्र, कलश, धूप दान स्थापित कर शेष तीनों ओर व्यवस्था की दृष्टि से इन्द्र-इन्द्राणियों को बैठा देवें । आसन, पाटा, पूजा द्रव्य चढ़ाने की थाली रखकर यन्त्र- पूजा देवें । क्रम से मंगलाष्टक, कलश स्थापन, संकल्प, पूजा के पश्चात् चौबीस महाराज व निर्वाण क्षेत्रों को अर्घ्य और निम्नांकित अर्घ्य दिलावें - [ प्रतिष्ठा प्रदीप ] Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only [ ५३ www.jainelibrary.org
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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