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ॐ ह्रः णमो लोए सव्वसाहूणं ह्रः मम पादौ रक्ष रक्ष स्वाहा । ॐ ह्रां णमों अरिहंताणं ह्रां मां रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ह्रीं मम वस्त्रं रक्ष रक्ष स्वाहा । ॐ हूं णमो आइरियाणं हूं मम पूजाद्रव्यं रक्ष रक्ष स्वाहा । ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं ह्रौं मम स्थलं रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रः णमो लोए सव्व साहूणं ह्रः सर्व जगत् रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ क्षां क्षीं हूं क्षौं क्षः ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः सर्व विघ्न निवारणं कुरु कुरु स्वाहा ।
नव (९) बार णमोकार मन्त्र पढ़ें। ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं ह्रां पूर्व दिशात आगत विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ह्रीं दक्षिण दिशात आगत विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ हूं णमो आइरियाणं हूं पश्चिम दिशात आगत विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा । ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं ह्रौं उत्तर दिशात आगत विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रः णमो लोए सव्वसाहूणं हः सर्व दिशात आगत विघ्नान् निवारय निवारय मां रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ नमोऽर्हते सर्व रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा ।
सरसों को ७ बार मन्त्रित कर परिचारकों पर क्षेपण करें। नोट- यह अंगन्यास, सकलीकरण व इन्द्र प्रतिष्ठा शान्ति जप आदि के अवसर पर भी उपयोग में लिया जावे।
तिलक मन्त्र मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी । मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैन धर्मोऽस्तु मंगलं ।।
यज्ञोपवीत मन्त्र ॐ हीं यज्ञ चिह्न यज्ञोपवीतं दधामि।
रक्षा बंधन मन्त्र ॐ ह्रां ही हूं हौं हः असि आ उ सा सर्वोपद्रवशान्तिं कुरु कुरु । ॐ नमोऽहते भगवते तीर्थंकर परमेश्वराय कर पल्लवे रक्षाबंधनं करोमि एतस्य समृद्धिरस्तु। ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमः स्वाहा |
__ संकल्प श्री निर्जरस्य द्विपचक्र पूर्वं श्री पादपंकेरुयुग्ममीशम् । श्री वर्द्धमानं प्रणिपत्य भक्त्या संकल्प चित्तं कथयामि सिद्धयै।
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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