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॥ श्रीवृषभादिवर्द्धमानान्त चतुर्विंशति जिनेन्द्रेभ्यो नमः ॥
प्रतिष्ठा प्रदीप
प्रथम भाग
मन्दिर निर्माण
गृहस्थ जीवन में देवपूजा, गुरुपास्ति, स्वाध्याय, संयम, तप और दान ये षट्कर्म प्रतिदिन आवश्यक माने गये हैं । मोक्षमार्ग रूप रत्नत्रय में सम्यग्दर्शन का निमित्त देव, सम्यग्ज्ञान का जिनागम और सम्यक् चारित्र का निर्ग्रन्थ गुरु हैं। वर्तमान काल में परमात्मा की पूजा, भक्ति और उपासना ही श्रेयस्कर है । अर्हन्त परमात्मा सदा और सर्वत्र विद्यमान नहीं रहते, इस कारण उनके स्मरणार्थ और भक्तिभाव प्रकट करने के लिए उनकी प्रतिमा बनाई जाती है । अपने को पवित्र बनाने और श्रद्धा के भाव जाग्रत करने का साधन वीतराग मूर्ति है, जिसे हम विधि पूर्वक मन्दिर में विराजमान करते हैं ।
अर्हन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, जिन मन्दिर, जिनधर्म, जिनागम और जिन प्रतिमा देवता हैं, जिनकी प्रत्येक गृहस्थ प्रतिदिन पूजा करता । इन सबका आधार जिन मन्दिर है । अतः उसके निर्माण का स्थान और मुहूर्त निम्न प्रकार है :
मन्दिर का स्थान सुन्दर, शुद्ध, जलाशययुक्त, नगर के समीप, सर्पादिक बिल व श्मशान रहित तथा उपजाऊ भूमिवाला होना चाहिये । जहाँ भूकम्प, विधर्मी और लुटेरों का भय न हो, ऐसे स्थान पर भक्तजन लाभ उठा सकें, उनकी प्रबल अभिलाषा जानकर जिनायतन या चैत्यालय का निर्माण कराया जावे । मन्दिर I का द्वार मुख्यरूप से पूर्व या उत्तर दिशा में रहे। जिन प्रतिमा का मुख भी पूर्व या उत्तर में रहे कदाचित् पश्चिम में भी रह सकता है । जिस वेदी या चबूतरे पर प्रतिमा विराजमान की जावे, वह ढाई फुट ऊँचा हो; उसके ऊपर कमल या कटनी उतनी ऊँची रखी जावे कि द्वार में प्रतिमा की दृष्टि प्रतिष्ठा - शास्त्रानुसार रह सके।
खनन कार्य
मन्दिर मार्गशीर्ष (अगहन), पौष, माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ महीनों के शुभ दिनों में प्रारम्भ करना चाहिये । नींव मूल, आश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाफाल्गुनी, भरणी, मघा इन अधोमुख नक्षत्रों में खोदें ।
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मिती ४, ९, १४, ३०, १५ को नहीं खोदें। मंगलवार और शनिवार को भी छोड़ दें । ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य १२, १, २री राशि पर हो तो आग्नेय (पूर्व-दक्षिण) दिशा में; ९, १०, ११वीं राशि पर हो तो नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) दिशा में; ६, ७, ८वीं राशि पर हो तो वायव्य (पश्चिम-उत्तर) दिशा में और ३, ४, ५वीं राशि पर सूर्य हो तो ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में नींव खोदना चाहिये ।
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