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प्रतिष्ठा चन्द्रिका __संग्रहकर्ता - स्वर्गीय पंडित शिवजीरामजी पाठक, रांची। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा विधान संग्रह वि. सं. २०१७ । जहाँ से जो मिला उन सबका २८३ पृष्ठ में असंशोधित संकलन । भगवान् के मातापिता बनाने के ये और पं. दुर्गाप्रसादजी (प्रसिद्ध विद्वान्) भी विरोधी थे।
मंदिर वेदी प्रतिष्ठा कलशारोहण विधि
(श्री डॉ. पठनालालजी सा. आ.) प्रथम संस्करण (१९३१ ई.) में अंगन्यास, विनायक यंत्र पूजा, जप विधि, इन्द्रप्रतिष्ठा, जलयात्रा, अभिषेक पाठ, कलश-शुद्धि व कलशारोहण, मंदिर-शुद्धि, शिलान्यास, खातमुहूर्त, शांति-यज्ञ । तृतीय (ई. १९८७) पृष्ठ १३० में वास्तुविधान, मानस्तंभ पूजा आदि विशेष ।
भगवान् ऋषभदेव के सम्बन्ध में आयु - ८४ लाख पूर्व
केवलज्ञान-फाल्गुन वदी ११ शरीर ऊँचाई - ५०० धनुष
केवलज्ञान समय- पूर्वाह्न शरीर वर्ण - स्वर्ण वर्ण
गणधर - वृषभसेनादि ८४ कुमारकाल - २० लाख पूर्व
पूर्वधर ४७५० छद्मस्थकाल - १००० वर्ष
शिक्षक - ४१५० दीक्षा - चैत्रवदी ९
अवधि ज्ञानी - ९००० दीक्षा नक्षत्र- उत्तराषाढ़ा
केवली - २०००० पालकी -सुदर्शन
विक्रिया धारी - २०६०० दीक्षा-वन - सिद्धार्थ
मनः पर्ययज्ञानी- १२७५० दीक्षा-वृक्ष- न्यग्रोध (वट)
वादी- १२७५० दीक्षा लेकर उपवास - छह मास
आर्यिका - ३५०००० आहार - एक वर्ष बाद - इक्षुरस
श्रावक - ३००००० पारणा - हस्तिनापुर
श्राविका - ५००००० समवसरण- १२ योजन का निर्वाण - माघवदी १४
निर्वाण स्थल - कैलाश इतिहास
जैन मन्दिर पौराणिक इतिहास की दृष्टि से भरत चक्रवर्ती ने कैलाश पर्वत पर तीन चौबीसी के ७२ मंदिरों का निर्माण कराया था। वर्तमान इतिहास में बिहार में पटना के पास लोहानीपुर में मौर्यकालीन कलाकृतियों २२४]
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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