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________________ ॐ श्रीं ह्रीं अं वं मं हं सं तं पं झ्वी क्ष्वी हं सः नमोऽर्हते स्वाहा। उक्त चार मन्त्रों से अभिषेक व पुष्प क्षेपण करें। पश्चात् कल्पवासी देवों के यहाँ घंटा ज्योतिषियों के यहाँ सिंहनाद, व्यंतरदेवों के यहाँ ढोल एवं भवनवासियों के यहाँ शंखनाद तथा बाजे बजाने को माइक में संकेत करते हुए बाहर का पर्दा हटा देवें । जय जयकार हो और (ऋषभदेव के जन्म की घोषणा करें।) (बाहर का पर्दा लगावें) मंगलाचरण जय जय जिन स्वामी अन्तरयामी, परमातम सब दोष हरें । निजज्ञान प्रकाशें भ्रमतम नाशें, शुद्धातम शिवराज करें । तुम अनुभव सागर अमृत गागर, जो भरकर निजकंठ धरें । सो सुख निज पावें क्षोभ मिटावें, कर्मबंध का नाश करें । इन्द्र सभा सौधर्म- अहो ! आज यह मेरा सिंहासन क्यों कंपायमान हो रहा है ? मुझे अवधिज्ञान द्वारा विदित हो रहा है कि मध्यलोक में भगवान् ऋषभदेव का जन्म हो गया है। (बोलिये भगवान् ऋषभदेव की जय) सिंहासन से नीचे उतरकर सात पग आगे जाकर जय जयकार करते हैं। (कुबेर से)- कुबेर ! मध्यलोक में जाने के लिये शीघ्र ही तैयारी करो और ऐरावत हाथी को सजाओ। कुबेर- स्वामिन् ! आपकी आज्ञा शिरोधार्य है । मैं शीघ्र ही सभी प्रकार की सेना तैयार करता हूँ। १. सौधर्म इन्द्राणी- आज हम बड़े पुण्यशाली हैं कि धर्मतीर्थकर्ता प्रथम तीर्थंकर का जन्म हुआ है। २. ईशान इन्द्र- हमें तीर्थंकर प्रभु के जन्म-कल्याणक मनाने का नियोग पूरा करना है। इसमें हमारा हिस्सा भी कम नहीं है। ईशान इन्द्राणी- इन्द्रों के साथ इन्द्राणियाँ भी भाग लेती हैं, यह क्या कम पुण्य की बात है। ३. सनतकुमार इन्द्र- भगवान् का जब जन्म होता है तब तीनों लोकों में उसका प्रभाव छा जाता है। नरक तक में क्षणभर नारकियों को शांति का अनुभव होता है। सनतकुमार इन्द्राणी- भगवान् असाधारण पुरुष होते हैं, जिनके शरीर में भी विशेषता होती है। ४. महेन्द्र इन्द्र- सत्य है उनके शरीर में पसीना, मल, मूत्र नहीं होता । आहार तो होता है, नीहार नहीं। [प्रतिष्ठा-प्रदीप] [ १६९ ___ JainEducation International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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