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गर्भकल्याणक मन्त्र संस्कार
(टंकिकारारोपण एवं संस्कार) ॐ नमः श्री तीर्येशाय सर्वविघ्न विनाशाय नमोऽर्हत स्वाहा।
इस मन्त्र से षट्कोण शिला पर विधिनायक मूर्ति स्थापित करें। ॐ ह्रां अर्हद्भ्यो नमः, ॐ ह्रीं सिद्धेभ्यो नमः, ॐ हूं सूरिभ्यो नमः, ॐ ह्रौं पाठकेभ्यो नमः, ॐ ह्रः सर्वसाधुभ्यो नमः।
(१०८ बार इस मन्त्र का जप करें) ॐ नमः केवलिने तुभ्यं नमोऽस्तु परमात्मने नयन्तु वन भूधरा फट् वषट् स्वाहा ।
(इस मन्त्र से सभी मूर्तियों को हथोड़ी का स्पर्श करावें ॐ नमोऽहते ह्रीं क्लीं क्रौं स्वाहा ।
(इस मन्त्र से मूर्तियों को टांकी का स्पर्श करावें) ॐ नमो निजगनाथाय चक्रेश्वर वंदिताय विमल हंसाय पादादिदोषौघ निवारकाय झौ झौं स्वाहा ।
(पुष्पांजलि क्षेपण करें) प्रतिष्ठानं प्रतिष्ठा च स्थापनं तत्प्रतिक्रिया । तत्समानात्म बुद्धित्वात्तत्भेदः स्तवनादिषु ॥ वसुनंदि प्रति. १४-६४ भक्त्यार्हत्प्रतिमा पूज्या कृत्रिमाऽकृत्रिमा सदा ।
यतस्तद् गुण संकल्पात् प्रत्यक्षं पूजितो जिनः ।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह अमुक बिंबस्य अर्हद्गुण संकल्पात् मन्त्र संस्कारात् तत्समानात्मबुद्धिर्भवतु भट्यवृन्दैक मान्यतां यातु सम्यक्त्व हेतुरस्तु सर्व प्रजाजन कल्याणं कुरु कुरु स्वाहा।
इस प्रकार सभी प्रतिमाओं को स्पर्श करें।
(पुष्पांजलि क्षेपण करें) ॐ णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोएसव्वसाहूणं । ॐ जय जय जय नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु नंद नंद नंद अनुसाधि अनुसाधि अनुसाधि पुनीहि पुनीहि पुनीहि मांगल्यं मांगल्यं मांगल्यं शान्तिरस्तु ।
(इस मन्त्र से वेदी पर पुष्प क्षेपण करें)। __ ॐ ह्रीं मरुदेवी, विजया, सुषेणा, सिद्धार्था, सुमंगला, सुसीमा, पृथिवी, लक्ष्मणा, रमा, नन्दा, विष्णुश्री, जयावती, सुषमा, सुरजा, सुब्रता, ऐरा, श्रीमती, मित्रा, पद्मा, श्यामा, विनता, शिवा, वामा, त्रिशलेति, चतुर्विंशति, जिनमातरोऽत्र सुप्रतिष्ठिता भवन्तु स्वाहा।
(मंजूषिका पर पुष्प क्षेपण करें)
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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