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सुगंध कोकिला ।।, छवीला २॥, कपूर काचरी ||I, जटामासी ॥, नागर मोथा ॥, गूगल ।।, लाल-सफेद चन्दन चूर्ण ५, यह न हो तो शुद्ध चन्दन चूरा की धूप बना लेवें । घृत व हवन द्रव्यों का कम-से-कम उपयोग करें । यह पूर्ण अहिंसा समर्थक शास्त्रोक्त शुद्ध विधि है।
नोट :- हवन व पूजा में इन्द्र-इन्द्राणी साथ-साथ शामिल होते हैं परन्तु दोनों के गठजोड़ा व उसमें रुपये रखना उचित नहीं है।
हवन का क्रम इस प्रकार है :
आज तक पीले चावल से हवन की विधि कहीं भी देखने में नहीं आयी और न इसका कोई प्रमाण है। १. मंगलाष्टक २. सकलीकरण-शान्ति जप के समय की विधि संक्षिप्त रूप में। ३. मंगल (शांतिधारा) कलश जल भरा हुआ। स्थापन ॐ हीं शांतिधारा कलश स्थापनं करोमि इवीं
क्ष्वी हं सः स्वाहा । इस मन्त्र से प्रमुख व्यक्ति करे। ४. संकल्प जितने मन्त्र जप करने का किया हो उनके दशांश हवन का संकल्प सब मिलकर करें । संकल्प में सीधे हाथ में जल, सुपारी, हल्दी गांठ रखकर अपने सामने मन्त्रपूर्वक क्षेपें ।
संकल्प मन्त्र शान्ति जप के समय का देखें। ५. विनायक यंत्र पूजा। ६. ॐ क्षीं भूः शुध्यातु स्वाहा इस मन्त्र से सीधे हाथ में जल लेकर अपने सामने स्थंडिल की भूमि को
शुद्ध करें। ७. समिधायें जलाकर घृत प्रत्येक स्थंडिल में पृथक्-पृथक् तपेली में गर्म कर देवें । प्रत्येक स्थंडिल में
एक व्यक्ति कम-से-कम घृताहुती देवें शेष व्यक्ति सीधे हाथ से धूप क्षेपण करें । ८. अग्निसंधुक्षण मन्त्र
जिनेन्द्र वाक्यैरिव सुप्रसन्नैः संशुष्क दर्भाग्रघृताग्नि कीलैः ।
कुंडस्थिते सेन्धन शुद्ध वह्नौ संधुक्षणं संप्रति संतनोमि ॥ ॐ ॐ ॐ ॐ रं रं रं रं अग्नि संधुक्षणं करोमि । इस मन्त्र से कर्पूर जलाकर स्थंडिल के मध्य भाग में क्षेप देवें। इसके पूर्व घृत समिधाओं में डाल देवें ।
शांति मन्त्रः ॐ हीं अर्ह अ सि आ उ सा सर्व शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा । इस मन्त्र की १०८ बार या कम-से-कम २७ बार आहुति दें।
आहुति मन्त्र ॐ हां अर्हद्भ्यः स्वाहा । ॐ ह्रीं सिद्धेभ्यः स्वाहा । ॐ हूं आचार्येभ्यः स्वाहा । ॐ हौं उपाध्यायेभ्यः स्वाहा । ॐ ह्रः सर्वसाधुभ्यः स्वाहा । ॐ ह्रीं जिन धर्माय स्वाहा । ॐ ह्रीं जिनागमाय स्वाहा । ॐ ह्रीं जिनालयेभ्यः स्वाहा । ॐ हीं सम्यग्दर्शनाय स्वाहा । ॐ हीं सम्यग्ज्ञानाय स्वाहा ।
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[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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