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________________ मन्दिर शिखर शुद्धि मन्त्र शिखर के सामने लंबा दर्पण रखकर उसके प्रतिबिम्ब का ॐ क्षां क्षीं झू क्षः हां ह्रीं हूं हौं हः अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झौं झौं जिन मन्दिर शिवराभिषेकं करोमि। इस मन्त्र से २७ बार अभिषेक करावें। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहँ श्री वृषभादिवर्धमानांत तीर्थकरेग्यो नमः । इस मन्त्र को ९ बार पढ़कर सरसों शिखर पर क्षेपण करें। शिखर पर चारों ओर स्वस्तिक करावें और ३ प्रदक्षिणा दिलावें । मंदिर कलश प्रतिष्ठा १. मंगलाष्टक बोलकर पुष्पांजलि क्षेपण करें। २. नित्याप्रकंपाद्भुत केवलौघा इत्यादि ऋद्धि पाठ बोलकर कलश पर पुष्पांजलि क्षेपण करें। ३. विघ्नौघाः प्रलयं यांति इत्यादि श्लोक बोलकर पुष्पांजलि क्षेपें। ॐ हीं सम्यग्दर्शनशानचारित्र संयुक्तेभ्यः महर्षिभ्यो नमः । ॐ ह्रीं रत्नत्रयधारि मुनिभ्योऽय॑म् निर्वपामीति स्वाहा। पूजा वृषभोऽजितनामा च शंभवश्चाभिनन्दनः । सुमतिः पद्मभासश्च सुपार्यो जिनसप्तमः ।। चन्द्राभः पुष्पदन्तश्च शीतलो भगवान्मुनिः । श्रेयांश्च वासुपूज्यश्च विमलो विमलद्युतिः ।। अनन्तो धर्मनामा च शान्तिः कुन्थुर्जिनोत्तमः । अरश्च मल्लिनाथश्च सुव्रतो नमितीर्थकृत् ।। हरिवंश समुद्भूतोऽरिष्टनेमिर्जिनेश्वरः । ध्वस्तोपसर्गदैत्यारिः पावॉ नागेन्द्रपूजितः ।। कर्मान्तकृन्महावीरः सिद्धार्थकुलसंभवः । एते सुरासुरौघेण पूजिता विमलत्विषः ।। पूजिता भरताद्यैश्च भूपेन्द्रैर्भूरिभूतिभिः । चतुर्विधस्य सङ्घस्य शान्तिं कुर्वन्तु शाश्वतीम् ।। (कलश पर पुष्प क्षेपण) [प्रतिष्ठा-प्रदीप] [१२१ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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