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"पंतालीस प्रागम
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दृष्टसाधर्म्यवत् अनुमान के दो भेद हैं : सामान्य दृष्ट और विशेष दृष्ट । किसी एक पुरुष को देखकर तद्देशीय अथवा तज्जातीय अन्य पुरुषों की आकृति आदि का अनुमान करना सामान्यदृष्ट अनुमान का उदाहरण है। इसी प्रकार अनेक पुरुषों की प्राकृति आदि से एक पुरुष की प्राकृति आदि का अनुमान किया जा सकता है । किसी व्यक्ति को किसी स्थान पर एक बार देखकर पुनः उसके अन्यत्र दिखाई देने पर उसे अच्छी तरह पहचान लेना विशेष दृष्ट अनुमान का उदाहरण है। उपमान:
उपमान के दो भेद हैं : साधोपनीत और वैधोपनीत । साधोपनीत तीन प्रकार का है : किंचित् साधोपनीत, प्रायःसाधोपनीत और सर्व साधोपनीत ।
किंचित् साधोपनीत उसे कहते हैं, जिसमें कुछ साधर्म्य हो। उदाहरण के लिए जैसा मेरु पर्वत है, वैसा ही सर्षप का बीज है; क्योंकि दोनों ही मूर्त है। इसी प्रकार जैसा आदित्य है, वैसा ही खद्योत है; क्योंकि दोनों ही प्रकाशयुक्त हैं। जैसा चन्द्र है, वैसा ही कुमुद है; क्योंकि दोनों ही शीतलता प्रदान करते हैं ।
प्रायः साधोपनीत उसे कहते हैं, जिसमें करीब-करीब समानता हो । उदाहरणार्थ जैसी गाय है, वैसी ही नीलगाय है।
सर्व साधोपनीत उसे कहते हैं, जिसमें सब प्रकार की समानता हो। इस प्रकार की उपमा देश-काल आदि की भिन्नता के कारण नहीं मिल सकती; अतः उसकी उसी से उपमा देना सर्वसाधोपनीत उपमान है। इसमें उपमेय एवं उपमान अभिन्न होते हैं । उदाहरण के लिए अर्हत् ही अर्हत् के तुल्य कार्य करता है। चक्रवर्ती ही चक्रवर्ती के समान कार्य करता है आदि ।
वैधोपनीत भी इसी तरह तीन प्रकार का है : किंचितवैधोपनीत, प्रायः वैधोपनीत और सर्व वैधोपनीत ।
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