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(4) भत्त-परिण्णा, नामः प्राशय 172, कतिपय महत्त्व
पूर्ण प्रसंग 173, (5) तंदुल-वेयालिय, नाम : अर्थ 174, नारी का हीन
रेखाचित्र 174, कुछ विचित्र व्युत्पत्तियां 175, (6) संथारग 176, (7) गच्छायार 177, व्याख्या-साहित्य 178 (8) गणिविज्जा 179, (9) देविंद-थय 179, (10) मरण-समाही 179, कलेवर : विषय-वस्तु 180,
उपसंहार 181।
भागमों पर व्याख्या - साहित्य
182-193 प्रयोजन 182, व्याख्यानों की विधाएँ 183, निज्जुत्ति 184, ऐतिहासिकता 184, नियुक्तियाँ : रचनाकार 185, भास 185, रचना : रचयिता 186, चुण्णिउद्भव : लक्षण 186, चूर्णियों की भाषा 187, प्राकृत की प्रधानता 188, चूर्णियाँ : रचनाकार 188, महत्त्वपूर्ण चूर्णियाँ 189, टीकाएँ - अभिप्रेत 190, टीकाएँ पुरावर्ती परम्परा 191, हिमवत् थेरावली में उल्लेख 191, प्रमुख टीकाकार-प्राचार्य हरिभद्रसूरि 191, शीलाङकाचार्य 192, शान्त्याचार्य एवं नेमिचन्द्राचार्य 192, प्राचार्य अभयदेव प्रभृति उत्तरवर्ती टीकाकार 193, विशेषता : महत्त्व 193 ।
(xiv)
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