________________
तत्त्व : आचार:
परिशिष्ट-२ : बौद्ध पारिभाषिक शब्द-कोश
७६९
सुयाम-याम देव-भवन के देव-पुत्र । .. सेखिय-शिक्षापद, जिनका लघन भी दोष है। स्त्यान मद्ध-शरीर और मन का आलस्य । स्थविर-भिक्षु होने के दस वर्ष बाद स्थविर और बीस वर्ष बाद महास्थविर होता है । स्मृति सम्प्रजन्य-चेतना व अनुभव । स्रोतापत्ति-धारा में आ जाना। निर्वाण के मार्ग में आरूढ़ हो जाना, जहां से गिरने की
कोई सम्भावना नहीं रहती है। योग-साधना करने वाला भिक्षु जब सत्काय दृष्टि, विचिकित्सा और शीलवत परामर्शक, इन तीन बन्धनों को तोड़ देता है, तब वह स्रोतापन्न कहा जाता है । स्रोतापन्न व्यक्ति अधिक-से-अधिक सात बार जन्म लेकर निर्वाण प्राप्त कर लेता है।
____Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org