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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३
सकता है। पहली उड़ान में मानुषोत्तर पर्वत तक जाया जा सकता है। वापस लौटते समय एक ही उड़ान में मूल स्थान पर पहुंचा जा सकता है। इसी प्रकार ऊर्ध्व दिशा की दो उड़ान में मेरु तक और लौटते समय एक ही उड़ान में प्रस्थान-स्थान तक पहुंचा
जा सकता। विप्रषौषध लब्धि-तपस्या-विशेष से प्राप्त होने वाली एक दिव्य शक्ति । तपस्वी के मल
मूत्र भी दिव्य औषधि का काम करते हैं। विभंग ज्ञान-इन्द्रिय धौर मन की सहायता के बिना, केवल आत्मा के द्वारा रूपी द्रव्यों को
जानना अवधि ज्ञान है। मिथ्यात्वी का यही ज्ञान विभंग कहलाता है। वीतरागता विराधक-गृहीत व्रतों का पूर्ण रूप से आराधन नहीं करने वाला। अपने दुष्कृत्यों
का प्रायश्चित करने से पूर्व ही मृत्यु को प्राप्त हो जाने वाला। वैनयिक बुद्धि-गुरुओं की सेवा-शुश्रूषा व विनय से प्राप्त होने वाली बुद्धि । वैमानिक-देखें, देव । वैयावत्ति-आचार्य, उपाध्याय, शैक्ष, ग्लान, तपस्वी, स्थविर, सार्मिक, कुल, गण और ___ संघ की आहार आदि से सेवा करना। देश्रवण-कुबेर । व्यन्तर--देखें, देव। शतपाक तेल-विविध औषधियों से भावित शत बार पकाया गया अथवा जिसको पकाने में
शत स्वर्ण-मुद्राओं का व्यय हुआ हो । शय्यातर–साधु जिस व्यक्ति के मकान में सोते हैं, वह शय्यातर कहलाता है। शल्य-जिससे पीड़ा हो । वह तीन प्रकार का है : १. माया शल्य-कपट-भाव रखना। अतिचार की माया पूर्वक आलोचना करना
या गुरु के समक्ष अन्य रूप से निवेदन करना, दूसरे पर झूठा आरोप लगाना । २. निदाय शल्य-राजा, देवता आदि की ऋद्धि को देख कर या सुन कर मन में यह
अध्यवसाय करना कि मेरे द्वारा आचीर्ण ब्रह्मचर्य, तप, आदि अनुष्ठानों के फल. स्वरूप मुझे भी ये ऋद्धियाँ प्राप्त हों। ३. मिथ्यादर्शन शल्य-विपरीत श्रद्धा का होना । सिवितबार-बार सेवन करने योग्य अभ्यास प्रधान व्रतों को शिक्षाव्रत कहते हैं। ये चार
हैं : १. सामायिक व्रत, २. देशावकाशिक व्रत, ३. पौषधोपवास व्रत और ४. अतिथि
संविभाग व्रत। शक्ल ध्यान-निर्मल प्रणिधान-समाधि-अवस्था। इसके चार प्रकार हैं : १. पृथक्त्व वितर्क
सविचार, २. एकत्व वितर्क सविचार, ३. सूक्ष्म क्रिया प्रतिपाती और ४. समुच्छिन्न
क्रिया निवृत्ति। शेषकाल-चातुर्मास के अतिरिक्त का समय। शैलेशी अवस्था-चौदहवें गुणस्थान में जब मन, वचन और काय योग का निरोध हो जाता
है, तब उसे शैलेशी अवस्था कहते हैं । इसमें ध्यान की पराकाष्ठा के कारण मेरू सदृश निष्प्रकम्पता व निश्चलता आती है।
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