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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३
के भाइयों ने उसके प्रसव होने की बात सुनी तो पूछा कि पुत्र का जन्म हुआ है या पुत्री का ? उन्हें बताया गया कि पुत्री का जन्म हुआ है। वे बोले-"पुत्री का पालन करो।" देवगर्भा के दश पुत्र : अदला-बदली
क्रमश: देवगर्मा के दश पुत्र हुए और ठीक उन्हीं तिथियों में नन्दगोपा के क्रमश: दश पुत्रियाँ हुईं । देवगर्भा अपने पत्रों को, ज्योंही वे उत्पन्न होते, नन्दगोपा के यहाँ भिजवाती रही और उसकी पुत्रियों को अपने पास मंगवाती रही । पुत्रों का पालन-पोषण नन्दगोपा के यहाँ होता गया तथा पुत्रियो का पालन-पोषण देवगर्भा के यहाँ होता गया। दोनों जगह बड़े होते गये । यह सब इतना गुप्त रखा गया कि किसी को इस सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं हो सका। नन्दगोपा के यहां पालित-पोषित देवगर्भा के पुत्र
नन्दगोपा के यहाँ पालित-पोषित देवगर्भा के पुत्रों के नाम क्रमश: इस प्रकार हुए१. वासुदेव, २. बलदेव ३. चन्द्रदेव, ४. सूर्यदेव, ५. अग्निदेव, ६. वरुण देव, ७. अर्जुन, ८. प्रद्युम्न, ६. घट पण्डिा था १०. अंकुर। ये अन्धकवेणु दास-पुत्र दश दुष्ट भाई के नाम से विश्रुत हुए। लूटपाट : डकैती
वे दशों बड़े होकर बहुत शक्तिशाली तथा बलवान् हुए। उनका स्वभाव कठोर था। वे डाके डालने लगे। राजा के पास लोग जब भेंट लेकर जाते तो वे उन्हें लूट लेते । नागरिक एकत्र हुए। वे राज-प्रांगण में उपस्थित हुए। उन्होने राजा से शिकायत की-"अन्धकवेणदास-पुत्र दश भाई लूटपाट कर रहे हैं. डाके डाल रहे हैं।" राजा ने सेवकों को आज्ञा दी"अन्धकवेणु को हाजिर करो।" अन्धकवेणु आया। राजा ने उसे धमकाया- 'तुम अपने पुत्रों द्वारा लूटपाट क्यों करवाते हो ? भविष्य में ऐसा मत करवाना।"
लूटपाट तथा डकैती का क्रम पूर्ववत् जारी रहा। दूसरी बार शिकायत आई, तीसरी बार शिकायत आई। राजा ने उसे डराया, मत्यु-दण्ड की धमकी दी। वह भय से काँपने लगा। उसने अभय-दान की याचना की। राजा ने अभय-दान दिया। तब अन्धक वेणु ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा- "राजन् ! वे मेरे पुत्र नहीं हैं, उपसागर के पुत्र हैं।"
उसने वह सब बता दिया कि जन्म होते ही बच्चों का परिवर्तन कैसे किया जाता रहा। कुश्ती का आयोजन
राजा ने ज्यों ही यह सुना, वह बड़ा भयभीत एवं चिन्तित हुआ। उसने मन्त्रियों से परामर्श किया-'इन्हें किस प्रकार पकड़ें ?” मन्त्री बोले-"देव ! ये मल्ल-पहलवान हैं। नगर में कुश्ती का आयोजन कराए। ये उस में भाग लेने आयेगे । तब कुश्ती मण्डप में ही पकड़वा लेंगे, मरवा डालेंगे।"
राजा को मंत्रियों की राय उचित लगी। उसने चाणूर और मु ष्टक नामक अपने प्रमुख, प्रगल्भ मल्लों को बुलवाया, स्थिति से अवगत कराया और उन द्वारा यह घोषणा करवाई कि आज से सातवें दिन कुश्ती का बड़ा आयोजन होगा। राजद्वार पर कुश्ती के लिए बड़ा मण्डप तयार करवाया गया, अखाड़ा खुदवाया गया। मण्डप को भलीभांति
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