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________________ Ivi मागम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन [खण्ड : ३ ६६६ पिप्पली कुमार-भद्रा कापिलायनी जन्मजात संस्कार स्वर्ण-पुत्तलिका कन्या की खोज भद्रा कापिलायनी की दाई : परिचय भद्रा का वाग्दान भद्रा-पिप्पलीकुमार : चिन्तित पत्र-परिवर्तन प्रथम रात्रि : विचित्र स्थिति गहि जीवन में पूर्ण ब्रह्मचर्य का संकल्प रोमांचक घड़ी प्रव्रज्या तथागत की गरिमा चीवर-परिवर्तन बुद्ध संघ में प्रतिष्ठा भिक्षुणी भद्रा कापिलायनी ६६६ ६६६ ६७० ६७० ६७१ ६७१ ६७१ ६७२ ६७३ ६७३ ६७४ ६७४ ६७५ २०. चार प्रत्येक बुद्ध : जैन एवं बौद्ध-परम्परा में ६७६-७०७ जैन परम्परा में प्रत्येक बुद्ध करकंड जन्म राज्य-प्राप्ति पिता-पुत्र का परिचय बूढ़े बैल की दुरवस्था : प्रेरणा : ज्ञान ६७६ ६७६ ६८१ ६८२ ६८२ प्रत्येक दुख नग्गति العل م س Urur or Us س س ६८४ अश्व-परीक्षण विद्याधर-कन्या से भेंट : परिणय चित्रशाला का निर्माण लापरवाह अश्वारोही अद्भुत चित्र चार मूर्ख कनकमंजरी के साथ विवाह रोचक कहानीक्रम प्यार की कसौटी रतौंधी का रोगी चौथिया बुखार . कॅट और बबूल ६८४ ६८५ ६८६ ६८६ ६८७ ६८८ ६८६ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002623
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1991
Total Pages858
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, Conduct, & Story
File Size17 MB
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