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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड
:३
वाराणसी-नरेश दशरथ : राम, लक्ष्मण तथा सीता का जन्म भरत का जन्म : वरदान पटरानी द्वारा भरत के लिए राज्य की मांग राम, लक्ष्मण एवं सीता द्वारा वन-गमन हिमालय पर आवास राम को लौटने हेतु भरत का प्रयास पिता की मृत्यु का समाचार लक्ष्मण तथा सीता को असह्य शोक राम द्वारा संसार की अनित्यता पर प्रकाश वापस नहीं लौटे तृण-पादुकाएँ : प्रतीक राम का आगमन : राजतिलक सार-संक्षेप
४६६ ४६६ ४७० ४७० ४७१ ४७१ ४७१
४७१
४७२ ४७४ ४७४ ४७४
४७५
& जिन रक्षित और रणया देवी : बालाहस्स जातक
४७६-४८७ जिन रक्षित और रयणा देवी
माकन्दी पुत्र : जिनपालित, जिनरक्षित ४७६ समुद्री यात्रा : तूफान
४७७ रत्नद्वीप
४७७ रत्नद्वीप देवी : चण्डा, रौद्रा
४७७ भ्रातृदय : रत्नद्वीप पर
४७७ रत्नद्वीप देवी द्वारा भीति-प्रदर्शन : काम-लिप्सा ४७८ रत्नद्वीप देवी द्वारा लवण समुद्र की सफाई हेतु गमन
४७८ वध-स्थान : शूलारोपित चीखता पुरुष ४७६ शूलारोपित पुरुष की दुःखभरी कहानी शैलक यक्ष यक्ष की अर्चा : पूजा शैलक यक्ष की चेतावनी : सहायता अश्वरूपधारी शैलक पर आरूढ़ देवी द्वारा मौत की धमकी माकन्दी पुत्रों का अविचलन देवी द्वारा कामोपसर्ग
४८१ जिन रक्षित : किञ्चित् विचलित : देवी द्वारा प्रणय-निवेदन
४८२ आसक्ति का उद्रेक : निपतन
४८२ देवी द्वारा जिनरक्षित की निर्मम हत्या आर्य सुधर्मा द्वारा शिक्षा
४७६
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