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२. आचार
आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
स एवं स्थावर जीवों की हिंसा से निवृत्ति वानस्पतिक जगत् : हिंसा परिहार
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य
मुनि की आदर्श भिक्षा-चर्या मिक्षु की व्यवहार चर्या
भिक्षु जीवन के आदर्श
श्रमण का स्वरूप : समता : पापशमन
अशन, पान आदि का असंग्रह रात्रि भोजन का निषेध
संयम और समता
स्नेह के बन्धन तोड़ दो
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उत्तराध्ययन: सम्बद्ध घटनांश : तथ्य
हस्तिपाल जातक : सम्बद्ध घटनांश : तथ्य
दोष-वर्जन : सद्गुण- अर्जन
संयमी की अदीनताः सामर्थ्य संयम सर्वोपरि
सत्पथ-दर्शन
वैराग्य-चेतना
आत्मविजय : महान् विजय
चारित्र्य की गरिमा अभ्युदय के सोपान
कुद्दाल जातक : सम्बद्ध कथानक मैत्री और निर्वेद भाव
भावनाएँ
समय जा रहा है जागते रहो
सतत जागरूक
अकेले ही बढ़ते चलो साधक यतना से कार्यं करे
प्रमाद मत करो
प्रमाद : अप्रमाद
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[ खण्ड : ३
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