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विषयानुक्रम
१.तत्त्व
१-७६
जरा-मरण की अनिवार्यता मृत्यु से कौन बचाए ? संशयशीलता का कुफल अज्ञान दुःखवाद दु:साहसी मन:चंचल चित्त काम-भोग अविनय से विनाश पाप-स्थान विकथा पाप का फल दुष्प्रवृत्त आत्मा तृष्णा का उन्माद गतियाँ नरक-गति
नरक-योनि, देव-योनि आदि के कारण
कष्टों का सर्जक व्यक्ति स्वयं बंधना, छूटना अपने हाथ
आत्माः सुख-दुःखका कर्ता
सम्बद्ध घटना जैसा कर्म, वैसा फल मनुष्य-जीवन की दुर्लभता
भदाका सम्बल
सम्यक्-दृष्टि आत्मप्रेक्षण
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