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________________ प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची १. अंग पण्णत्ति : प्राचार्य शुभचन्द्र २. अंगुत्तर-निकाय : अनु० भदन्त आनन्द कौशल्यायन, प्र. महाबोधि सभा, कलकत्ता, १९५७-६३ ३. अलंकार-तिलक : ४. अनुयोगद्वार सूत्र । ५. अट्ठसालिनी : पूना संस्करण, १९४२ ६. अष्टाध्यायी-वृत्ति : पाणिनी ७. अभिसमयालंकार : बड़ौदा संस्करण ८. अभिधान राजेन्द्र कोष : ( ७ भाग) आचार्य विजयराजेन्द्रसूरि, रतलाम, १९१३-३४ ६. अमरकोश : ( तृतीय खण्ड ) नानार्थ वर्ग १०. प्रशोक के धर्मलेख : सं० जनार्दन भट्ट, प्र. पब्लिकेशन डिवीजन, सूचना एवं प्रसार मंत्रालय, प्रोल्ड सेक्रेटेरियेट, दिल्ली, १९५७ ११. प्राचारांग-नियुक्ति : १२. प्राचारांग सूत्र : ( जैनागम ) शीलांकाचार्य कृत वृत्ति सहित, प्र० प्रागमोदय समिति, सूरत, १९३५ : प्राचार्य जिनसेन, सं० पं. पन्नालाल जैन, प्र० भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९६३ १४. आराधना : अपराजित सूरि १५. पाराधना : विजयोदया : अपराजित सूरि १६. पावश्यक-नियुक्ति : प्राचार्य भद्रबाहु मलयगिरि वृत्ति सहित, प्र. प्रागमोदय समिति, बम्बई १९२८ । १७. आवश्यक-नियुक्ति : प्राचार्य भद्रबाहु हारिभद्रीय वृत्ति सहित, प्र० प्रागमोदय समिति बम्बई, १९१६ १८. इन्द्रनन्दि-श्रु तावतार : Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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