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विषयानुक्रम
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टीकाएं : पुरावर्ती परम्परा
हिमवत् थेरावली में उल्लेख प्रमुख टोकाकार
प्राचार्य हरिभद्रसूरि शीलांकाचार्य शान्त्याचार्य एवं नेमिचन्द्राचार्य प्राचार्य अभयदेव प्रभृति उत्तरवर्ती टीकाकार
विशेषता : महत्व १. शौरसेनी प्राकृत और उसका वाङमय (Canonical Literature in shouraseni Prakrita)
प्रस्तुत प्रकरण निह्नववाद
विह नव का अर्थ
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५०९ ५०९ ५०९
५१०
सारांश स्थानांग तथा आवश्यक नियुक्ति में उल्लेख
बोटिक निह्नव श्वेताम्बर मान्यता
आवश्यक नियुक्ति में विशेषावश्यक भाष्य में मलधारी हेमचन्द्र द्वारा प्रस्तुत कथानक प्रश्न : उत्तर : असमाधान उपसंहार
५१३ ५१५ ५१५ ५१६ ५१९
दिगम्बर मान्यता
दर्शनसार में उल्लेख भाव-संग्रह के अनुसार श्वेताम्वर-उद्भव सारांश वृहत्कथाकोष का कथानक
५१९ ५२० ५२४ ५२५ ५२६
तात्पर्य
संघ-विभाजन : एक भिन्न परम्परा
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