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विषयानुक्रम
६ अणुत्तरोववाइयदसाओ ( अनुत्तरोपपातिक दशा ) ४२१
४२१
४२१
नाम : व्याख्या
वर्तमान रूप : अपरिपूर्ण, प्रयथावत्
१०. पण्डवागरणाई ( प्रश्नव्याकरण )
नाम के प्रतिरूप
वर्तमान रूप
वर्तमान स्वरूप : समीक्षा
१९. विवागस्य ( विपाकश्रुत )
१२. दिट्ठवाय ( दृष्टिवाद )
स्थानांग में दृष्टिवाद के पर्याय
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भेद-प्रभेदों के रूप में विस्तार
अनुयोग का तात्पर्य
द्वादश उपांग
उपांग
अंग : उपांग : प्रसादृश्य
वेदों के अंग
वेदों के उपांग
उपवेदों की परिकल्पना
प्रस्तुत सन्दर्भ : जैन श्रुतोपांग
१. उववाइय ( ओववाइय ) ( औपपातिक )
श्रीपपातिक का अर्थ
विषय-वस्तु
२. रायपसेणोअ ( राज- प्रश्नीय )
विषय-वस्तु
महत्वपूर्ण सामग्री
एक ऊहापोह
३. जीवाजीवाभिगम
व्याख्या साहित्य
४. पनवणा (प्रज्ञापना )
नाम : अर्थ
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