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भाषा और साहित्य ] भारत में लिपि-कला का उद्भव और विकास [ २८७ में उसका आविष्कार हुआ। दूसरे मत के अनुसार वह ई. पूर्व २७०० वर्ष में निर्मित हुई। पर, प्राचीनता मात्र कोई कारण नहीं है, जिससे संगत-असंगत सब कुछ उसके साथ जोड़ दिया जाये। जहां लिपि-विश्लेषण और समीक्षा का प्रश्न भाता है, घिद्वाम् इस मत की चर्चा तक नहीं करते। उत्तरी सेमेटिक लिपि ___ भाषा-विज्ञान में सेमेटिक और हेमेटिक दो शब्द आते हैं, जो दो विशिष्ट भाषा-परिवारों को व्यक्त करने के हेतु विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, जैसे सेमेटिक भाषा-परिवार, हेमेटिकभाषा-परिवार। सेमेटिक शब्द लिपि के साथ भी जुड़ा है। ___ कहा जाता है, हजरत नौह ( नूह ) के दो पुत्र थे। बड़े का नाम सेम और छोटे का हेम था। परम्परया सेम को दक्षिण-पश्चिम एशिया के निवासियों का आदि पुरुष माना जाता है। उस भू-भाग में प्रसृत भाषा-परिवार सेम के नाम पर सेमेटिक कहलाया । भाषा की तरह वहां प्रयुक्त प्राचीन लिपि के साथ भी यह विशेषण जड़ा। सेमेटिक का हिन्दी में सामी अनुवाद किया गया है। सेमेटिक भाषा-परिवार के दक्षिणी क्षेत्र में जो लिपि प्रयुक्त होती थी, उसे दक्षिणी सेमेटिक लिपि कहते हैं ।
बहुत से विद्वानों की मान्यता है कि उत्तरी सेमेटिक लिपि से ब्राह्मी का सभव हुआ। उनमें बूलर का नाम विशेष रूप से लिया जा सकता है। बेबर, बेमफे, वेस्टरगार्ड हिटमी, जॉनसन, विलियम जॉन्स आदि विद्वानों के अभिमत भी बहुत कम भेद के साथ, लगभग इसी प्रकार के हैं। बूलर के मन्तव्यानुसार ईसधी सन् से लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व सेमेटिक अक्षरों का भारत में प्रवेश हुआ 11 फिनिशियम और ब्राही
उत्तरी सेमेटिक लिपि की एक मुख्य शाखा फिनिशियन थी। फिनिषिया (देश) में प्रचलित होने के कारण यह फिनिशियन कहलाई। प्राचीन काल में एशिया के उत्तरपश्चिम में स्थित भू-भाग (सीरिया) फिनिशिया कहा जाता था। फिनिशिया प्राचीन काल से ही शिक्षा, सभ्यता, कला-कौशल व व्यापार आदि में बहुत समुन्नत पा। भारतीय लोग व्यापारायं फिनिशिया आते-जाते थे। उन विद्वानों के अनुसार तब तक भारत में लेखनकला का प्रादुर्भाव नहीं हआ था; अतः पारस्परिक व्यवहार में सविधा रहे. इस रेत सम्हें फिनिशियन लिपि का अक्षर सीखना आवश्यक लगा । उन्होंने पेसा किया। उनकी कठिनाई दूर हो गयी। उन ग्यापारियों के साथ वे फिनिशियन अक्षर भारत नाये। वे अक्षय
1. Indian Palaeography, P. 17
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