________________
विषयानुक्रम
त
२९८
म
महामहोपाध्याय डा० अोझा
२९७ अशोक के पूर्ववर्ती दो शिलालेख
२९७ उपसंहार एक प्रश्न-चिह्न ?
२९८ एक कल्पना
२९९ एक और कल्पना
३०० ब्राह्मी से विभिन्न लिपियों का विकास
३०१ प्राचीन भारत की ब्राह्मी लिपि
३०३ खरोष्ठी लिपि
३०४ खरोष्ठी : प्रयोग
३०४ जैन वाङमय
३०४ कल्पनाए : हेतु
३०४ म्रामक व्युत्पत्ति
३०५ खरोष्ठी का उद्भव पार्मेइक लिपि में खरोष्ठी की उत्पत्ति
३०६ प्राइक व खरोष्ठी
३०७ ब्राह्मी का प्रभाव
३०७ एक अपरिपूर्ण लिपि
संस्कृत-लेखन के लिए अनुपयुक्त ८. आर्ष (अर्द्धमागधी) प्राकृत और आगम वाङमय (Arsa ( Ardha magadhi ) Prakrita and the Jaina Canonical
Literature ) ३११-५०६ धर्म-देशना
३१३ प्रत्थागम : सुत्तागम
३१४ महावीर के गणधर : आगम संकलन
३१५ गणधर : विशेषताए गणधर की तीर्थ कर-सापेक्षता गणधर का एक विशेष अर्थ ग्यारह गणधर : नौ गण
.
1
० mm r m mmm
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org