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१७२ ] आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन कलिंग-भाषा और पालि
एक मत इस प्रकार है, जो पालि को कलिंग देश की भाषा के आधार पर विकसित मानता है। इस मत के उद्भावक डा. ओल्डन वर्ग हैं। उनके कहने का तात्पर्य है कि लंका के निकटवर्ती होने के कारण कलिंग से ही लंका में बौद्ध धर्म का संचार शताब्दियों तक होता रहा। उनके अनुसार तब जो कलिंग की भाषा थो, घही कुछ विकसित और परिवर्तित होकर पालि के रूप में अस्तित्व में आई और बौद्ध धर्म के माध्यम के रूप में लंका, पहुंची। डा० ओल्डन वर्ग ने दूसरी बात यह कही है कि कलिंग में खण्डगिरि (हाथी गुम्फा) में खारवेल का जो शिलालेख है, उसको भाषा पालि के बहुत निकट है। खारवेल का लेख कलिंग की तत्कालीन भाषा में हो, यह सर्वथा स्वाभाविक प्रतीत होता है।
लंका में धर्म-प्रचार के लिए सम्राट अशोक का पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा गये; यह ऐतिहासिकों द्वारा प्रायः स्वीकृत तथ्य है । डा. ओल्डन वर्ग इसे प्रामाणिक नहीं मानते । वे कलिंगवासियों द्वारा ही लंका में बौद्ध धर्म के प्रचारित होने को प्रामाणिकता की कोटि में लेते हैं। उनके अनुसार कई शताब्दियों तक कलिंगवासियों का लंका में बौद्ध धर्म का प्रचार करने का प्रयत्न रहा।
ई० नुलर
डा. ओल्डन बगं को तरह ई० मूलर का भी मत है कि कलिंग ही पालि के उद्भव का देश है। उनकी मान्यता है कि कलिंग से ही सबसे पहले ( भारतीय ) लंका में जाकर बसे और वहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
समीक्षा
पालि का आधारभूत भाषा के सम्बन्ध में मत-मतान्तरों के उल्लेख के अनुसार सिंहली परम्परा मागवो भाषा को पालि का जो आधार मानती है, उससे कतिपय विद्वान् सहमत नही हैं। उनके अनुसार मागधी किसी भी तरह पालि का आधार नहीं है। प्रो० रायस डेविड्स का मत सिंहली परम्परा से एक अपेक्षा से मेल खाता है। प्रो० रायस डेविड्स का कहना है कि भगवान् बुद्ध कौशल में उत्पन्न हुए। उन्होंने मुख्यतः मगध में विहार किया। कौशल देश में उत्पन्न होने के कारण उनको मातृ-भाषा कौशल की बोली थी। उनका विहार और कार्य-स्थल मगध रहा; अतः वहां के जन-जन को समझाने के लिए मागधी से भी उनका सम्बन्ध जुड़ता है । मातृ-भाषा के नाते एक निष्कर्ष यह निकलता है कि वे कौशल की भाषा
१. विनयपिटक, डा० ओल्डन वर्ग द्वारा सम्पादित, जिल्ब १, भूमिका पृ. १-५६
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