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________________ इतिहास और परम्परा काल-निर्णय बुद्ध का निर्वाण-काल इसी प्रकार बुद्ध के विषय में भी डा० जेकोबी ने अपनी इन भूमिकाओं में जन्म और निर्वाण के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट काल व्यक्त नहीं किया है। परन्तु उन्हीं भूमिकाओं में अन्य प्रसंगों से जो कुछ उन्होंने लिखा है, उनसे उनकी बुद्ध के जन्म और निर्वाण-काल-सम्बन्धी धारणा भी व्यक्त हो जाती है । जैसे कि वे मैक्स मूलर का उद्धरण देते हुए लिखते हैं; "बौद्ध शास्त्रों के लिखे जाने की अन्तिम तिथि ई०पू० ३७७ थीं, जिस समय कि बौद्धों की दूसरी संगीति हुई थी।" यह सर्व-सम्मत धारणा है कि यह संगीति बुद्ध निर्वाण के १०० वर्ष बाद वैशाली में हुई थी। फलित यह होता है कि बुद्ध-निर्वाण का समय ई० पू० ४७७ ठहरता है। महावीर और बुद्ध की निर्माण-तिथि डा. जेकोबी उस समय की धारणा के अनुसार यदि ये ही रही हों, तो महावीर बुद्ध से ४१ वर्ष ज्येष्ठ हो जाते हैं । डा० जेकोबी की दूसरी समीक्षा डा० जेकोबी की एतद्विषयक चर्चा का दूसरा स्थल 'बुद्ध और महावीर का निर्वाण' नामक उनका लेख है। यह लेख उन्होंने जर्मनी की एक शोध-पत्रिका के २६वें भाग में सन् १९३० में लिखा था। इस लेख का गुजराती अनुवाद भारतीय विद्या नामक शोध पत्रिका के सन् १९४४, वर्ष ३, अंक १, जुलाई में प्रकाशित हुआ था और उसका हिन्दी अनुवाद श्री कस्तूरमल बांठिया द्वारा संग्रहीत होकर श्रमण के सन् १९६२, वर्ष 13, अंक ६-७ में प्रकाशित हुआ था। डा० जेकोबी के इस लेख का निष्कर्ष है कि बुद्ध का निर्वाण ई० पू० ४८४ में हुआ था तथा महावीर का निर्वाण ई० पू० ४७७ में हुआ था। तात्पर्य, महावीर बुद्ध से ७ वर्ष बाद निर्वाण को प्राप्त हुए और आयु में उनसे १५ वर्ष छोटे थे। $. The latest date of a Buddhist canon is the time of the second council 377 B. C. S. B. E., vol. X, p. XXXII, in S. B. E. vol. XXII, p. XLII. २. देखें-विनयपिटक, चुल्लवग्ग, १२ : १-६; राहुल सांकृत्यायन, बुद्धचर्या पृ० ५५६, H. C. Raychaudhuri, Political History of Ancient India, Sixth Edition. 1953, p. 228;आजकल का वाषिक अंक "बौद्ध धर्म के २५०० वर्ष में चार बौद्ध परिषदें" नामक भिक्षु जिनान्द का लेख, पृ० ३०। भगवान् महावीर भगवान् बुद्ध निर्वाण ई० पू० ५२६। निर्वाण ई०पू०४७७ आयु ७२ वर्ष। आयु ८० वर्ष। अत: जन्म ई० पू० ५६८। अतः जन्म ई० पू० ५५७ ॥ इस प्रकार ५६८-५५७ = ४१ वर्ष । ४. श्रमण, वर्ष १३, अंक ६, पृष्ठ १० । ३ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002621
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1987
Total Pages744
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & History
File Size15 MB
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