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इतिहास और परम्परा]
प्रथम समीक्षा
उनकी पहली समीक्षा आचारांग सूत्र की भूमिका ( ई० १८८४ ) में है। वहां वे महावीर और बुद्ध के जीवन-प्रसंगों का उल्लेख करते हुए लिखते हैं: "यहां हमें महावीर और बुद्ध के 'मुख्य-मुख्य जीवन-संस्मरणों को सामने लाकर उनके अन्तर को समझना है । बुद्ध कपिलवस्तु में जन्मे थे, महावीर वैशाली के समीपवर्ती किसी एक ग्राम में । बुद्ध की माता का बुद्ध के जन्म के बाद देहान्त हो गया, महावीर के माता-पिता महावीर की युवावस्था तक जीवित थे। बुद्ध अपने पिता के जीवनकाल में ही और पिता की इच्छा के विरुद्ध साधु बन गए थे, महावीर अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद अपने बड़ों की आज्ञा लेकर साधु बने थे । बुद्ध ने ६ वर्ष तक तपस्यामय जीवन बिताया, महावीर ने १२ वर्ष तक । बुद्ध ने सोचा कि मैंने इतने वर्ष व्यर्थ गंवाये और ये सब तपस्यायें मेरे ध्येय की प्राप्ति के लिए निरर्थक निकलीं, महावीर को तपस्या की आवश्यकता सत्य लगी और उन्होंने तीर्थङ्कर बनने के पश्चात् भी उनमें से कुछ एक को रख छोड़ा। मंखलिपुत्र गोशालक महावीर के विरोधियों में जितना प्रमुख है, उतना बुद्ध के विरोधियों में नहीं है तथा जमाली जो कि जैनधर्म-संघ में प्रथम निह्न हुआ, बुद्ध के साथ कहीं नहीं पाया जाता । बुद्ध के सभी शिष्यों के नाम महावीर के शिष्यों के नाम से भिन्न हैं । इन असमानताओं की गणना के अन्त में, बुद्ध का निर्वाण
काल-निर्णय
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?. We shall now put side by side the principal events of Buddha's and Mahavira's lives, in order to demonstrate their difference. Buddha was born in Kapilvastu, Mahavira in village near Vaishali; Buddha's mother died after his birth, Mahavira's parents lived to see him a grown up man; Buddha truned ascetic during the lifetime and against the will of his father, Mahavira did so after the death of his parents and with the consent of those in power; Buddha led a life of austerities for six years, Mahavira for twelve ; Buddha thought these years wasted time, and that all his penances were useless for attaining his end, Mahavira was convinced of the necessity of his penances and preseved in some of then even after becoming a Tirthankara. Amongst Buddha's opponents Gosala Makkhaliputra is by no means so prominent as amongst Mahavira's nor among the former do we neet Jamali who caused the first schism in Jaina Church. All the disciples of Buddha bear other names than those of Mahavira. To finish this enumeration of differences, Buddha died in Kusinagara, whereas Mahavira died in Papa, avowedly before the former.
—S. B. E., vol. XXII, introduction, pp. XXVII-XXVIII
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