________________
आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १ १७८. उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास : डा० नलिनाक्ष दत्त तथा कृष्णदत्त वाजपेयी,
प्र० उत्तर प्रदेश सरकार प्रकाशन ब्यूरो, लखनऊ, १९५६ १७६. उत्तर हिन्दुस्तानमां जैन धर्म (गुजराती अनुवाद) : जे० व० अनु० चिमनलाल
जेचन्द शाह, प्र० लॉगमैन्स ग्रीन एण्ड कं० लन्दन, १६३७ १८०. कथा सरित्सागर : सोमदेव, अनु० केदारनाथ शर्मा 'सारस्वत,' प्र० बिहार राष्ट्र
भाषा परिषद्, पटना, १९६० १८१. गुप्त साम्राज्य का इतिहास : डॉ० वासुदेव उपाध्याय, प्र० इण्डिन प्रेस लिमिटेड,
इलाहाबाद, १९५२ १८२. चार तीर्थङ्गर : पं० सुखलालजी, प्र. जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, बनारस,
१९५४ १८३. जैन साहित्य और इतिहास : नाथूराम प्रेमी, प्र० हिन्दी ग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालय,
बम्बई, १९५८ १८४. जैन सिद्धान्त दीपिका : आचार्य श्री तुलसी, प्र० आदर्श साहित्य संघ, चूरू, १९५२ १८५. जैनागम शब्द संग्रह (गुजराती) : शतावधानी पं० मुनि श्री रत्नचन्द्र जी, प्र०
संघवी गुलाबचन्द जसराज, श्री लीमड़ी (काठियावाड़), १९२६ १८६. तत्त्वसमुच्चय : डा० हीरालाल जैन, प्र० भारत जैन महामण्डल, वर्धा, १९५२ १८७. तीर्थकर महावीर (२ भाग) : आचार्य विजयेन्द्र सूरि. प्र. काशीनाथ सराफ,
__ यशोधर्म मन्दिर, बम्बई, १९६० १८८. तीर्थङ्कर वर्षमान : श्रीचन्द रामपुरिया, प्र० हमीरमल पूनमचन्द रामपुरिया,
कलकत्ता, १६५३ १८६. वर्शन और चिन्तन : पं० सुखलालजी प्र० पं० सुखलानजी सन्मान समिति,
अहमदाबाद, १६५७ १६०. दर्शन-दिग्दर्शन : राहुल सांकृत्यायन, प्र० किताब महल, इलाहाबाद, (तृतीय
संस्करण), १९६१ १६१. धर्म और वर्शन डॉ० बलदेव उपाध्याय, एम० ए० साहित्याचार्य, प्र० शारदा
मन्दिर, बनारस, १९४५ १६२. नरकेसरी : (गुजराती): जयभिक्खु, प्र. जीवनमणि सद्वाचन माला ट्रस्ट,
अहमदाबाद, १९६२ १६३. पाइअसहमहण्णवो : कर्ता-पं० हरगोविन्ददास विकमचन्द शेठ, सं० डा. वासुदेव
शरण अग्रवाल, पं० दलमुखभाई मालवणिया, प्र० प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी
५ (द्वितीय संस्करण). १९६३ १९४. पाणिनिकालीन भारतवर्ष : डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल, प्र० मोतीलाल बनारसी
दास, बनारस, १६५६ १६५. पातञ्जल योगदर्शन : महर्षि पतञ्जलि, प्र० गीता प्रेस, गोरखपुर, (तृतीय
संस्करण), १९५६
____Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org