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________________ इतिहास और परम्परा] परिशिष्ट-४ : प्रयुक्त-ग्रन्थ ६०५ ३५. जयघवला वृत्ति (कषायपाहुड) : वीरसेनाचार्य, सं० पं० मूलचन्द सिद्धान्तशास्त्री पं० कैलाशचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री, प्र० भा० दि० जैन संघ, मथुरा, १९६१ ३६. ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (जैन आगम) : अभयदेव सूरि वृत्ति सहित, सं० आचार्य चन्द्र सागर सूरि, प्र० सिद्ध चक्र साहित्य प्रचारक समिति सूरत, १६५१ ३७. ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (हिन्दी अनुवाद सहित) : सं० पं० शोभाचन्द्र भारिल्ल, प्र० श्री तिलोक रत्न स्था० जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड, पाथड़ी, अहमदाबाद, १६६४ ३८. तत्त्वार्थ भाष्य : उमास्वाति, प्र० रायचन्द जैन शास्त्रमाला, हीराबाग, बम्बई, १९०६ ३६. तपागच्छ पट्टावली : धर्मसागर गणि, सं० पं० कल्याणविजयजी, भावनगर, १६४० ४०. तित्त्थोगाली पइन्नय (जैन ग्रन्थ) : अप्रकाशित ४१. तिलोयपण्णत्ति : आचार्य यतिवृषभ, सं० हीरालाल जैन व ए० एन० उपाध्ये, प्र० जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर, १९५१ ४२. त्रिलोकसार : आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती, अनु० पं० टोडरमलजी, प्र० हिन्दा जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय, बम्बई, १६११ ४३. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रम् : आचार्य हेमचन्द्र, प्र. जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, १६०६-१३ ४४. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र (गुजराती अनुवाद) (४ भाग) : आचार्य हेमचन्द्र, प्र० जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर ४५. दर्शन सार : देवसेनाचार्य, सं० पं० नाथूराम 'प्रेमी', प्र० जैन ग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालय, बम्बई, १९२० ४६. दशवकालिक सूत्र (जैन आगम) : वाचना प्रमुख आचार्य श्री तुलसी, प्र० जन श्वे० तेरापंथी महासभा, कलकत्ता, १९६३ ४७. दशवकालिक चूणि : अगस्त्य सिंह, प्र० प्राकृत टेक्स्ट सोसाइटी, अहमदाबाद ४८. दशवकालिक चूणि : श्री जिनदास गणि महत्तर, प्र० देवचन्द लालभाई जवेरी, सूरत, १६३३ ४६. दशाश्रुतस्कन्ध (जैन आगम) : सं व अनु, आत्मारामजी महाराज, प्र० जैन शास्त्रमाला, लाहौर, १६३६ ५०. धर्मरत्न प्रकरण : श्री शान्ति सूरि, प्र० आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर, १९२५ ५१. निरयावलियाओ (जैन आगम) : सं० ए० एस० गोपाणी, बी० जे० चोकशी, प्र० शम्भूभाई जमसी साह, प्र० गुर्जर ग्रन्थ-रत्न कार्यालय, अहमदाबाद, १९२७ ५२. निरयावलियाओ (जैन आगम) : चन्द्रसूरि, संस्कृत टीका सहित, प्र० आगमोदय समिति, सूरत, १६२१ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002621
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1987
Total Pages744
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & History
File Size15 MB
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