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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
द्रोण-आनाज नापने के लिए प्राचीन काल में प्रयुक्त माप । यह नाली से बड़ा होता है।
४ प्रस्थ-१ कुडवा और ४ कुडवा=१ द्रोण होता है। एक प्रस्थ गरीब पाव भर माना
गया है ; अतः एक द्रोण करीब ४ सेर के बराबर होना चाहिए। धर्म-धर्म और दर्शन के बारे में भिन्न-भिन्न स्थानों पर, भिन्न-भिन्न लोगों को भिन्न-भिन्न __ परिस्थितियों में बुद्ध द्वारा दिये गए उपदेश । इन्हें सूत्र भी कहा जाता है।। धर्म कथिक-धर्मोपदेशक । धर्मचक्र प्रवर्तन - भगवान बुद्ध ने पंचवर्गोभ भिक्षुओं को जो सर्वप्रथम उपदेश दिया था, वह ___धर्मचक्र प्रवर्तन सूत्र कहा जाता है। धर्म चक्षु-धर्म ज्ञान। धर्मता-विशेषता। धर्मपातु-मन का विषय । घर्म पर्याय उपदेश । घर्म-विनय-मत। धारणा-अनुश्रावण के अनन्तर संघ को मौन देख कर कहना-"संघ को स्वीकार है। अतः
मौन है, मैं ऐसा अवधारण करता हैं।" पतवादी-त्यागमय रहन-सहन वाला। धुत होता है, धोये क्लेश वाला व्यक्ति अथवा क्लेशों
को धुनने वाला धर्म । जो धुतांग से अपने क्लेशों को धुन डालता है और दूसरों को धुतांग के लिए उपदेश करता है, वह धुत और धुतवादी कहलाता है । धुतांग १३ है : १ पांशुकलिकाङ्गसड़क, श्मशान कूडा, करकट के ढेरों और जहां कहीं भी धूल (पांशु)
के ऊपर पड़े हुए चिथड़ों से बने चीवरों को पहिनने की प्रतिज्ञा। २. त्रैचोवरिकाङ्ग-केवल तीन चीवर-संघाटी, उत्तरासंग और अन्तरवासक को
धारण करने की प्रतिज्ञा। ३. पिण्डपातिकाङ्ग-भिक्षा से ही जीविका करने की प्रतिज्ञा। ४. सापदान चारिकाङ्ग-बीच में घर छोड़े बिना एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक
भिक्षा करने की प्रतिज्ञा। ५. एकासनिकाङ्ग--एक ही बार भोजन करने की प्रतिज्ञा। ६. पात्रपिण्डकाङ्ग-दूसरे पात्र का इन्कार कर केवल एक ही पात्र में पड़ा पिण्ड ग्रहण
करने की प्रतिज्ञा।
१. आचार्य हेमचन्द्र, अभिधान चिन्तामणि कोश, ३१५५० । २. A. P. Budphadatt Mahathera, Concise, Pali-English Dictionary.
pp. 154-170.
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