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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १
मुनि श्री की अब तक विभिन्न विषयों पर २५ पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्यजगत् में उनका प्रचुर-समादर हुआ है। प्रस्तुत ग्रन्थ शोध व तुलनात्मक अध्ययन के क्षेत्र में मुनि श्री का अनूठा अनुदान सिद्ध होगा, ऐसी आशा है ।
इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ के सम्पादन का दायित्व हम दोनों ने अपने ऊपर लिया और इस दिशा में कुछ कर पाये, यह कोई आभार की बात नहीं है। मुनि श्री नगराज जी के सान्निध्य से जो कुछ और जितना हमने सीखा व पाया, यह अणुरूप से उसका प्रतिदान भी हो सका, तो हम अपने को कृतकृत्य समझेंगे।
मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम' मुनि महेन्द्रकुमार 'द्वितीय'
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