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१५८ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १ महावीर के स्वप्न
साधना-काल में महावीर को एक बार मुहूर्त भर नींद आई और उसमें उन्होंने दश स्वप्न देखे। १. महावीर ने देखा, मैं एक भयंकर ताड़-सदृश पिशाच को मार रहा हूँ। इसका अथ
है-मोह-नाश। २. महावीर ने देखा, मेरे सामने एक रंग-बिरंगा पुंस्कोकिल उपस्थित है। इसका अर्थ
है-शुक्ल ध्यान। ३. महावीर ने देखा, मेरे सामने एक रंग-बिरंगा पुंस्कोकिल उपस्थित है। इसका अर्थ
है-विविध विचार-पूर्ण द्वादशांगी का निरूपण । ४. महावीर ने देखा, दो रन-मालायें मेरे सम्मुख हैं। इसका अर्थ है-अनगार-धर्म और
अनगार-धर्म की स्थापना। ५. महावीर ने देखा, एक श्वेत गोकुल मेरे सम्मुख है। इसका अर्थ है-चतुर्विध संघ से
सेवित। ६. महावीर ने देखा, एक विकसित पम सरोवर मेरे सामने है। इसका अर्थ है-चतुर्विध
देवों को प्रतिबोध । ७. महावीर ने देखा, मैं तरंगाकुल महासमुद्र को अपने हाथों से तैर कर पार कर पुका
हूं। इसका अर्थ है-भव-भ्रमण का विच्छेद। ८. महावीर ने देखा, जाज्वल्यमान सूर्य सारे विश्व को आलोकित कर रहा है। इसका
अर्थ है-कैवल्य-प्राप्ति । ६. महावीर ने देखा, मैं अपनी वडूर्य वर्ण आंतों से मानुषोत्तर पर्वत को आवेष्टित कर
रहा हूँ। इसका अर्थ है-मनुष्य-लोक और सुर-लोक में यश-विस्तार । १०. महावीर ने देखा, मैं मेरु पर्वत की चूलिका पर सिंहासनारूढ़ हो रहा हूँ। इसका अर्थ
है-देवता और मनुष्यों की परिषद् में धर्मोपदेश ।' बुद्ध के स्वप्न १. बुद्ध ने देखा, मैं एक महापर्यत पर सो रहा हूँ। हिमाचल मेरा उपधान है। बांया
हाथ पूर्वी समुद्र को छू रहा है, दांया हाथ पश्चिमी समुद्र को छू रहा है और पर
दक्षिणी समुद्र को छू रहे हैं। इसका अर्थ है-तथागत द्वारा पूर्ण बोधि-प्राप्ति ।' २. बुद्ध ने देखा, तिरिया नामक एक वृक्ष उनके हाथ में प्रादुर्भूत होकर आकाश तक
पहुँच गया है। इसका अर्थ है-अष्टांगिक मार्ग का निरूपण। ३. बुद्ध ने देखा, श्वेत कीट, जिनका शिरोभाग काला है, मेरे घुटनों तक रेंग रहे हैं।
इसका अर्थ है-श्वेत वस्त्रधारी गृहस्थों का शरणागत होना ।
१. भगवती श० १६, उ०६, सू० ५७६; ठाणांग ठा० १०, उ० ३; आवश्यक नियुक्ति ___मलयगिरि वृत्ति, पत्र २७० । २. इस स्वप्न का फल जैन आगमों में उसी जन्म में मोक्षि-प्राप्ति माना है।
-भगवती शतक १६, उ० ६, सूत्र ५८० ।
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