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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १ होने वाले जैन धर्म और बौद्ध धर्म से सम्बन्धित सिद्धान्त-विषयक एवं आचार-विषयक महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर अत्यन्त सारगर्भित समीक्षा की गई है।
थोड़े में कहा जा सकता है कि यह ग्रन्थ महावीर और बुद्ध एवं उनके युग व सिद्धान्तों की उपयोगी सूचनाओं का वस्तुतः ही एक भरा-पूरा भण्डार है। ग्रन्थ के परिशिष्ट में त्रिपिटकों के कुछ पाठ तात्कालिक सुलभता की दृष्टि से दिये गये हैं।
____ मुनि श्री नगराजजी ने अपने अध्ययन को इस प्रकार परिपूर्ण रूप में प्रस्तुत कर हमें कृतज्ञ किया है । ग्रन्थ की स्वच्छता व शालीनता के लिए प्रकाशक भी हमारी बधाई के पात्र हैं।
धवला कोल्हापुर-१ १६-११-१९६७
ए० एन० उपाध्ये (अध्यक्ष, कला-संकाय, कोल्हापुर विश्वविद्यालय)
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