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इतिहास और परम्परा ]
१६. दृढ़सेन १७. महीनेत्र
१८. सुचल १६. सुनेत्र
की
है :
२०. सत्यजित्
२१. विश्वजित् २२. रिपुञ्जय
१. शिशुनाग २. काकवर्ण
३. क्षेमवर्धन
४. क्षेमजित्
५. प्रसेनजित्
६. बिम्बिसार
काल-निर्णय
बार्हद्रथ राजा
१. महीनेत्र २. सुचल ३. सुनेत्र ४. सत्यजित् ५. विश्वजित् ६. रिपुंजय
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४८ वर्ष
३३
३२ 33
४०
८३
(द्रष्टव्य, वायु पुराण, अ० ६६, श्लो० श्लो० १७-३०; F. E. Pargiter, The the Kali Age, pp. 13-17, 67-68 ).
इस प्रकार २२ राजाओं का राज्य काल ६६६ वर्ष होता है । गाणितिक अनुपात की गणना में प्रत्येक राजा का राज्य-काल ४५ ४५ वर्ष से कुछ अधिक होता है । इस गणना से अन्तिम ६ राजाओं का काल ४५.४५ X ६ : २७३ वर्ष से अधिक होता है । अन्तिम ६ राजाओं के वास्तविक राज्य कालों का योग भी २७३ वर्ष होता है । दूसरे प्रमाणों के आधार पर यह पाया जाता है कि प्रद्योत का राज्याभिषेक ई० पू० ५४६ में हुआ था ( द्रष्टव्य, 'निष्कर्ष की पुष्टि ' ) । इसका तात्पर्य यह हुआ कि अवन्ती में बार्हद्रथ राजा रिपुंजय का राज्यान्त ई० पू० ५४६ में हुआ । हमारी गणना के अनुसार ई० पू० ५४४ में अजातशत्रु का राज्य प्रारम्भ होता है । डॉ०टी० एल० शाह ने शिशुनाग वंश के राजाओं का राज्य-काल इस प्रकार पुराणों के आधार पर माना है :
समय ( ई० पू०
८२२-७८६
७८६-७५७
७५७-७१७
७१७-६३४
६३४-५६६
५६६-५४६
५०,
३६,, ४३ "
३८ "
अब यदि इस काल क्रम के साथ बार्हद्रथ वंश के अन्तिम ६ राजाओं के कालक्रम तुलना 'की जाती है, तो इन दोनों वंशों की समसामयिकता पूर्णतः सिद्ध हो जाती
३५,
५० "
==
"
समग्र ६६६ वर्ष
२६४-३०६; मत्स्य पुराण, अ० २७१, Purana Text of the Dynasties of
शिशुनाग
काकवर्ण
क्षेमवर्धन
"
शुनाग राजा
27
६० वर्ष ३६”
क्षेमजित्
प्रसेनजित् बिम्बिसार
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ἐ
समय ( ई० पू० )
८०७-७४७
७४७-७११
७११-६६१
६११-६२५
६२५-५८२
५८२-५४४
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