________________
तपागच्छ सागर शाखा-पट्टावली (१)
पृष्ठ २१२ से सागरगच्छीय पट्ठावली (२)
२१३ २१४ सागरगच्छ के प्रारम्भिक प्राचार्यों का नामक्रम (३) २१५ परिशिष्ठ (१) तपागच्छ की लघु अपूर्ण पट्टावलियां
२१६ २१८ तपगच्छ पाट-परम्परा स्वाध्याय
२१६ श्री तपगच्छीय पट्टावली सज्झाय
२१६ २२२ विजयरत्नसूरि के चातुर्मास्यों के गांवों की सूची २२२ २२३ प्राचार्य विजयक्षमासूरि के चातुर्मायों की सूची
२२३ २२४ विजय संविग्नशाखा की गुरु-परम्परा
२२५ सागर संविग्न शाखा की गुरु-परम्परा विमल संविग्न शाखा की गुरु-परम्परा
२२७ श्री पार्श्वचन्द्र गच्छ की पट्टावली (१)
२२८ श्री पार्वचन्द्र गच्छ नाम पड़ने के बाद की प्राचार्य-परम्परा २२६ पावचन्द्र गच्छ की लघु-पट्टावली (२)
२३० बृहद्-गच्छ गुर्वावली
२३१ २३३ श्री ऊकेश-गच्छीया पट्टावली
२३४ २३८ पौर्णमिक गच्छ की गुरुवावली
२३६ अंचलगच्छ की पट्टावली
२४० २४३ पल्लिवाल-गच्छीय पट्टावली
२४४ २५२
२२६
तृतीय परिच्छेद [ खरतरगच्छ की पट्टावलियां] खरतरगच्छ पट्टावली-संग्रह
२५५ २५७ खरतरगच्छ वृहद्-गुरुवावली
२५८ २७८ वर्द्धमानसूरि से जिनपद्मसूरि तक के प्राचार्यों की वृहद्-गुर्वावलि २७६ ३४३ राजामों का मोह
३४३ ३४५ हस्तलिखित खरतरगच्छीय पट्टावलिया
३४६ ३४८ सोलंकी राजाओं की वंशावली मौर खरतर विरुद . ३४८ ३५३ (२) पट्टावली नवम्बर २३२७
६५ ३५६ पाठ ]
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org