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द्वितीय-परिच्छेद ]
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६६ सिद्धसूरि - सं० १३३० में वर्षी नगर से शाह देसल ने यात्रा की
१४ बार, सिद्धसूरि प्रमुख सुविहित प्राचार्य साधुनों
द्वारा तिलक कराया गया। ६७ ककसूरि - सं० १३७१ में सहजा नै पदमहोत्सव किया। इन
कक्कसूरि ने 'गच्छ-प्रबन्ध" बनाया जिसमें देसल के
पुत्र समरा सहजा का चरित्र है। ६८ देवगुप्तसूरि - श्री शाङ्गधर संघवी ने सं० १४०६ में दिल्ली में इनका
पदमहोत्सव दिया। ६६ श्री सिद्धसूरि-स० १४७५ में पाटन में शाह झाबा नीवागर ने इनका
पदमहोत्सव किया। ७० ककसरि - सं० १४६८ में चित्तौड़ में शा० सारंग सोनागर राजा
ने पदमहोत्सव किया। ७१ देवगुप्तसूरि - सं० १५२८ में जोधपुर में मन्त्री जैतागर ने पद
महोत्सव किया, इन्होंने ५ उपाध्याय स्थापित किये, उनके नाम - धनसार उपा०, उपा० देवकल्लोल, उ० पद्म
तिलक, उ० हंसराज, उ० मतिसागर । ७२ सिद्धसूरि - मन्त्री लोलागर ने सं० १५६५ में, मेड़ता में पदमहो
त्सव किया। ७३ वकसूरि - जोधपुर में सं० १५६६ में गच्छाधिप हुए, मन्त्री
धर्मसिंह ने पदमहोत्सव किया । ७४ देवगुप्तसूरि - सं० १६३१ में सहसवीरपुत्र मन्त्री देदागर ने पद
__ महोत्सव किया। ७५ सिद्धसूरि - सं० १६५५ में चैत्र सुदि १३ को विक्रमपुर में पद
महोत्सव हुआ। ७६ ककसरि - सं० १६८६ फाल्गुण सुदि ३ को पदमहोत्सव मन्त्री
सावलक ने किया। ७७ देवगुप्तसूरि - सं० १७२७ में ईश्वरदास ने पदमहोत्सव किया। ७८ श्री सिद्धसूरि-सं० १७६७ के मिगसर सुदि १० को मन्त्रो सगतसिंह
ने पदमहोत्सव किया।
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