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सागरगना के प्रारम्भिक आचार्यों का नाम - क्रम (३)
६० तत्प? श्री हीरविजयसूरि ६१ , , विजयसेनसूरि
, राजसागरसूरि
ऋद्धिसागरसूरि ६४ , , लक्ष्मीसागरसूरि ६५ , , कल्याणसागरसूरि
६६ ॥ ॥ पुण्यसागरसूरि सोहम्मकुल पट्टावली रास के आधार से विजयदानसूरि का सं० १६२२ में वटपद्र में स्वर्गवास ।
५८ राजविजयसूरि को विजयदानसूरि ने अन्त में गच्छ सम्भालने के लिए लिखा, पर उन्होंने प्रत्युत्तर में लिखा कि दूसरा पट्टधर स्थापन करियेगा।
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