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[ पट्टावली-पराग
इन्द्रनन्दि परवादिनल ( कृष्णराज के समक्ष ) आर्य्यदेव चन्द्रकीर्ति (श्रुतविन्दु के कर्ता ) कर्मप्रकृति – भट्टारक श्रीपालदेव |
वादिराज-कृत पार्श्वनाथ चरित (शक ६४७ से विदित होता है कि वादिराज के गुरु मतिसागर थे और मतिसागर के गुरु
मतिसागर श्रीपाल ।
हेमसेन विद्याधनञ्जय महामुनि
। (रूपसिद्धि के कर्ता मतिसागर के शिष्य) वादिराज दयापाल मुनि (दयापाल के सब्रह्मचारी चालुक्य चक्रेश्वर जयसिंह के
कटक में कीर्ति प्राप्त की ।) श्रीविजय (वादिराज द्वारा स्तुत्य हेमसेन गुरु के समान) कमलभद्रमुनि दयापाल पण्डित महासूरि
1 (विनयादित्य होयसल नरेश द्वारा पूज्य) चतुर्मुखदेव (पाण्ड्य शान्तिदेव नरेश द्वारा स्वामी की उपाधि और पाहवमल्ल नरेश द्वारा
Jचतुर्मुखदेव की उपाधि प्राप्त थी) गुणसेन (मुल्लूर के )
अजितसेन - वादौसिंह
शान्तिनाथ कविताकान्त
पद्मनाभ वादिकोलाहल कुमारसेन. मल्लिषेण मलधारि (अजितसेन पण्डित देव के शिष्य, स्वर्गवास
शक सं० १०५०)
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