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________________ प्रथम- परिच्छेद ] [ १०३ I शब्द है । श्वेताम्बरों के प्राचीन भाष्यों तक में " गच्छ" शब्द प्रयुक्त नहीं हुप्रा है । हाँ, छठी सातवीं शताब्दी के बाद के भाष्यों, चूणियों श्रीर प्रकीर्णकों में "गच्छ" शब्द का व्यवहार अवश्य हुआ है । यही बात दिगम्बर सम्प्रदाय में भी है। जहां तक हमें ज्ञात है उनके तीसरी-चौथी शताब्दी के साहित्य में तो क्या आठवीं सदी तक के साहित्य में भी "गच्छ" शब्द प्रयुक्त नहीं हुआ । (७) विक्रम की नवीं सदी के पहले के किसी भी शिलालेख, ताम्रपत्र या ग्रन्थ में कुन्दकुन्दाचार्य का नामोल्लेख न होना भी सिद्ध करता है कि वे उतने प्राचीन व्यक्ति न थे, जितना कि आधुनिक दिगम्बर विद्वान् समझते हैं । यद्यपि मर्करा के एक ताम्रपत्र में; जो शक संवत् ३८८ का लिखा हुआ माना जाता है, कुन्दकुन्द का नामोल्लेख है, तथापि हमारी उक्त मान्यता में इससे कुछ भी विरोध नहीं आ सकता, क्योंकि उस ताम्रपत्र में उल्लिखित तमाम प्राचार्यों के नामों के पहले " भटार" (भट्टारक ) शब्द लिखा गया है, जो विक्रम की सातवीं सदी के बाद शुरु होता है । इस दशा में ताम्रपत्र वाला संवत् कोई अर्वाचीन संवत् होना चाहिये अथवा तो यह ताम्रपत्र ही जाली होना चाहिए । 3 श्रमण भगवान् महावीर के "जिनकल्प और स्थविरकल्प' नामक एक परिशिष्ट में मर्करा का ताम्रपत्र जाली होने की हमने संभावना को थी । उस पर "कषायप्राभृत' के प्रथम भाग के सम्पादक महोदय ने हमारी उस सम्भावना पर नाराजगी प्रकट करते हुए लिखा था कि ताम्रपत्र को जाली कहना कल्याणविजयजी का साहस है ।" उस समय तक ताम्रपत्र प्रकाशित नहीं हुआ था, परन्तु प्रन्यान्य प्रमाणों से कुन्दकुन्दाचार्य की अर्वाचीनता निश्चित होती थी और मुझे उन प्रमाणों पर पूरा विश्वास था । जब "जैन शिलालेख संग्रह " का द्वितीय भाग मेरे पास आया, तब उसमें मुद्रित मर्करा का ताम्रपत्रीय लेख पढ़ने को मिला। मैंने उसको ध्यान से पढ़ा और विश्वास हो गया कि वास्तव में यह ताम्रपत्र जाली ही है, क्योंकि उसमें माघ सुदि पंचमी को पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद अथवा Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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