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________________ विरचितम् ] श्रीपार्श्वनाथ १० भवस्तवनम् ( १११ ) कमठहरिहरिअजीओ (८) जीओ नवमे भवम्मि तं सामि ! | पाणयकप्पम्मि सुरो इअरो पंकप्पहाइ पुढवीए (९) ॥६॥ वाणारसी पासो तेवीसइमो जिणो तुम आसि । दसमे कमठकुलिंगी चमढियकासी अहमहिंदो (१०) ॥ ७ ॥ सावासअदुमि सिवं नाणं चुई चित्तकसिणच उत्थीए । पासस्स पोसकसिणे दसमीगारसीहिं जम्मवया ||८|| इअ थुणिओ दढचमढिअसढकमढासुरबलो हवउ पासो । सिरिधम्मकित्तिविज्जाणंदयरो नमिरदेविंदो ॥ ९ ॥ [ ४३ ] श्रीवीर २७भवस्तोत्रम् | तिसलासिद्धत्सु सीहकं सत्तहत्थ कणयनिहं । भवसत्तावीसकहणेणं वद्धमाणं थुणामि जिणं ॥ १॥ नयसारो सुग्गामे पढमे (१) बीए भवे पहु ! सुहम्मे (२) तइए मरिs दिंडी (३) विभिआइ चउत्थए बंभे ( ४ ) ॥२॥ कुल्लागि कोसिअदिभ पंचमि (५) संसारचउर छट्टभवे । थूणाइ समित्तो सत्तमि (७) सोहम्मि अटुमए (८) ॥ ३ ॥ नवमे अग्गिज्जोओ चेइअगामम्मि (९) दसमि ईसाणे । इगदसमि अग्गिभूई मंदिर ११ बारसमि सणकुमरो १२ ॥४॥ तेरसमे सेअवि भारदाओ १३ महिंद चउदसमे (१४) । रायगिहि थावराओ पनरसमे (१५) सोलसे बंभे (१६) ॥५॥
SR No.002613
Book TitleJainstotrasandohe Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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