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नेमिनाहचरिउ
[ २३१५ [२३१५]
कहि नच्चिरि रामि गायंति गोवीयणि ताल-वु वियरमाणि गोवालि मिलियइ । तहि गोउलि को-वि रसु हवइ जो न कहिउं पितरियइ ॥ वालु व तरुणु व वुड्ढउ व पुरिसु व रमणियणु व्व ।
सो नत्थि च्चिय जु न भमइ हरिहि गुणिहिं रत्तु व्व ॥ इओ य
[२३१६]
धरणि-कामिणि-तिलय-सरिसम्मि सिरि-सोरियपुरि नयरि समुदविजय-नरनाह-भारिय । गुण-रयण-रोहण-वसुह पुहइ-लोय-कल्लाण-कारिय ॥ पणयागय-जय-कप्पलय उवसम-सिरिहिं समिद्ध । चिट्ठइ तरुणीयण-तिलय सिवदेवि त्ति पसिद्ध ॥
[२३१७]
सा य जुण्ह व रयणि-नाहस्सु रंभ व्व सुराहिवह निय-पियस्सु अच्चंत-वल्लह । चिर-संचिय-सुकय-भर अकय-सुहहं दंसणि वि दुल्लह ॥ परिसेवंती विसय-सुह अइवाहेइ दिणाई ।
अह अन्नय चउदह नीयइ एह महा-सिमिणाई ॥ जहा[२३१८] गय-वसह-सीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं । पउमसर-सागर-विमाण-रयणुच्चय-सिहिं च ॥
[२३१९]
तयणु उढिवि समुद्दविजयस्सु सिर-विरइय-कर-कमल कहइ देवि सिविणइं अ-सेसि वि । तयणंतर तुट्ठ-मणु
भणइ समुदविजयावर्णिदु वि ॥ जह - सुंदरि महि-कामिणिहि असम-विहूसण-हेउ । तुह धुवु हविहइ सुय-रयणु हरि-चंसह सिरि-केउ ॥ २३१५. ६. क. ख. तरुण.
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