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नवमभवि नेमिजम्मु [२३२०]
अह ति रयणिहि सेसु अगमहिं जिणधम्म-धम्मिय-कहहिं तयणु वंदि-विदिण पढंतिण । पसरंतइ मंगलिय- तूरि भिच्च-वग्गिण मिलंतिण ॥ पच्चूसम्मि समुट्ठिउण काउ गोस-कज्जाई । उवविसिउण अत्थाणियहं पिहु पिहु जह-जोग्गाई ॥
[२३२१]
नियय-माणुस पेसवेऊण सदावइ सयल निय कोटगाइ-सिविणय-विसारय । कर-कलिय-पहाण-फल ते वि तत्थ वेगेण आगय ॥ जा ता उवसम-सिरिहिं परिगूहिय-अंगोवंगु । परिसीलिय-दस-विह-समण- धम्म-विसेसिण चंगु ॥
[२३२२]
नियय-कंतिण हरिय-तिमिरोहु संपीणिय-भविय-जणु मुत्तिमंतु सु-स्समण-धम्मु व । सेयंवर-पावरिउ. द? नहह आगमिरु तरणि व ॥ मूलुत्तर-गुण-भूसियउ असरिस-पत्त-विवेगु । निवइण निव-घरि वाहरिउ चारण-मुणिवरु एगु ॥
[२३२३]
ता करेविणु पउर-पडिवत्ति गुरु-हरिसु पयासिउण महरिहम्मि आसणि निवेसिवि । पणमिप्पिणु मुणि-पइहि उचिय-ठाणि सयमवि-हु निवसिवि ॥ सायरु उत्तिम-अंगि निय- कर-संपुडु विरएवि । आउच्छइ भावत्थु पिय- सिविणई उवसाहेवि ॥
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