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नेमिनाहचरिउ
[२३२४] __ तयणु निम्मल-दसण-किरणोलिपरिधवलिय-दिसि-वलउ तमु कहेइ चारण-महा-मुणि । जह - नरवर अवहियउ पत्थुयत्थु भावेसु निय-मणि ॥ अंग-सुविण-सर-वंजण वि तह उप्पाय-विसेस । अंतरिक्ख-महि-वंजण वि अट्ठ-निमित्त-विसेस ॥
[२३२५]
हवहिं साहय सुहहं असुहहं वि संसारिय-माणवहं तत्थ ताव इयराहं चिट्ठहुँ । संपइ पुणु पत्थुयइं किंचि एहि सिविणाई भन्नहुँ ॥ आगमि सामभिण भणिय वाहत्तरि एयाई । तहिं अ-पवित्तई तीस इयराई पुणु पवराई ॥
[२३२६]
तहिं वि तीसइ धुवु महा-सिविण इयरे उ मज्झिम हवहिं तत्थ चक्कि तित्थयर-मायर । गय-पमुह चउद्दस जि नियहिं सुमिण गुण-रयण-सायर ॥ सिरि-वच्छंकह जणणि पुणु सत्त महा-सिमिणाई । पेक्खइ वलभद्दह जणणि पुणु चत्तारि जि ताई ।
[२३२७]
निवइ-तलवर-सचिव-सामंतसत्थाह-जणणीउ पुणु नियहिं किं-पि एक्केक्कु सिविणउं । सिव-देविहिं दिट्ठ पुणु जाइं सिविण तिहि हउं वियाणउं॥ हविहइ नंदणु जय-सरणु तित्थाहिदु भयवंतु । अद्ध-भरह-सामिउ हरि जि पुणु चिट्ठइ वइहंतु ॥ २३२४. ७. असेस. २३२५. ५. भिन्नहुं.
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