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२३३१ ]
नवमभवि नेमिजम्म
[२३२८]
इय कयत्थउ तुहूं जि नर-नाह जसु मंदिरि अवयरिउ जय-सरन्नु तइलोय-दिणयरु । पणमंत-चिंतारयणु भव-समुद्द-तारणु जिणेसरु ॥ इय उववूहिरु निव-नमिउ मुणि विहरिउ अन्नत्थ । कय-किच्चउं अप्पउं मुणइ सिवदेवि वि सव्वत्थ ॥
[२३२९]
सिविण-दसण-समइ पुणु संखु अवराजिय-सुर-भवण- सुहई भोत्तु तेत्तीस अयरई । ठिइ-अंतिण परिचविवि घेत्तु तिन्नि नाणाई पवरई ॥ कत्तिय-किण्हहं वारसिहिं चित्ता-नक्खत्तम्मि । जय-वंधवु अवइन्नु तहिं सिवदेविहि गब्भम्मि ॥
तयणु देविहि सविहि आगंतु चलियासण सुर-पवर थुणहिं देवि गंभीर-वाणिहिं । जह – भयवइ धन्न तुहुं जीए पुत्तु सह सु-गुण-रयणिहि ॥ हविहइ भवसायर-पडिर- जिय-उद्धरण-समत्थु । तित्थाहिवु वावीसमउ नेमिनाहु सु-कयत्थु ॥
[२३३१]
को णु न नमइ तुज्झ पय-पउम जय-वच्छलि जय-जणणि जय-सरन्नि जय-अग्ग-गा*मिणि । . जं वद्धउ एहु तई पुन्न पवइहि(2)मज्झम्मि सामिणि ॥ नहि विणु केसरिणिहि जणइ का-वि-हु सीह-किसोरु । न य पुवह विरहिण तरणि जणइ का-वि करभोरु ॥ २३२९. १. क. सिविणु. २३३०. ८. क. ख. ममत्थु. * As the sheet numbered. 498 in the photostat of ms क, corresponding to the recto sides of folios 221 to 229 is missing, the text corresponding to these portions in the edited text has been based soely on the ms. ख. The portion from °मिणि (2331. 3) to एंति (2335. 4) is based on ms. ख. only.
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