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नेमिनाहचरिउ
[२३३२
[२३३२)
इय +थुणेप्पिणु जिणह +उप्पत्ति परिसाहिवि निय-नियय- सुर-घरेसु गय तियसायरिय । सक्केण उ मणि-कणय- अंवरेहिं भंडार पूरिय ॥ पुन्वुपन्नय वाहि-भर उवदवा वि उवसंत । पसरिय-विहव असेस-जण तहिं चिट्ठहिं विलसंत ॥
[२३३३]
तुरय-कुंजर-रयण-दाणेण पूइज्जइ नरवइहिं समुदविजय-नरवइ पमोइण । उयर-द्रिय-जिण-रयण रिद्र-नेमिनाहाणुहाविण ॥ देवी वि-हु भत्ति-भरिण विहिय-एग-चित्तेहिं । वंदिज्जइ सुर-नरवइहिं +पुलयंचिय-गत्तेहिं ॥
[२३३४] __ कमिण सावण-+सुद्ध-पंचमिहिं चंदम्मि चित्तहं गयइ +अद्ध-रत्ति सुह-दिण-मुहुत्तिण । उप्पायइ देवि सुय- रयणु रवि व पुव्व-दिसि मुक्खिण ॥ सो को-वि-हु भुवण-त्तइ वि नत्थि तम्मि समयम्मि । जो न पमोयावन्नु हुउ तहिं जिगवर-जम्मम्मि ॥
[२३३५] (१५) तो +आसण-कंपिण मुणिवि तित्थु जायउ जिणु लक्खण-सय-पसत्थु ।
अह लोयह अट्ठ-दिसा-कुमारि हरिसेण एंति वियवाहिगारि ॥ २३३२. १. थुणोप्पिणु; प्पंउन्नि. २३३३. ९. पुलंयचित्त. २३३४. १. सावणणुद्ध. २. अट्टरत्ति. २३३५. १. भासुंण. ४. नियहा; क. 'हिमारि.
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