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[२३०७
नेमिनाहचरिउ
[२३०७]
हरिउ पुणु वि सु हरिहि वयणस्सु परितुट्ठउ गोवि-जणु कण्ह-वयणु चुवेइ पुणु पुणु । रिखंतउ हरि कह-वि वाल-हारु पालेइ सु-निउणु ॥ तह वि-हु तमु करयलह हरि मोयाविवि अप्पाणु । महिउ महंतहं गोवियहं कुणइ खीर-दहि-पाणु ॥
[२३०८] __ अह जसोयहं उयर-देसम्मि • उक्खलइण समगु हरि वंधिऊण परिमुक्कु दामिण । इय दामोयरु भणिउ जणिण तत्थ ता इमिण नामिण ॥ पयडीहूयउ जगि सयलि अजु वि सु सउरिहि पुत्तु । एत्थंतरि नियय-प्पियहु वह-वइयरिण विगुत्तु ॥
[२३०९]
खयरु सुप्पग-नामु निय-विज्जसामत्थिण अज्जुणय-नाम-विडवि-जुयलउं विउविवि । हरि कलिउ वि उक्खलिण तरुहुँ मज्झ-देसम्मि आणिवि ॥ जाव निवायइ भीडिउण तेण वि विडवि-जुएण । तासु जि ताडिउ देवयहं तिण तह कहमवि जेण ॥
[२३१०]
निहय-उत्तिम-अंगु परिगलिररुहिराविल-सयल-तणु नीहरंत-मुह-कुहर-रसणउ । उक्खडिय-नयणंदुरुहु दलिय-नासु परिभग्ग-दसणउ ॥ अज्जुणय-दुम-जुयलिण वि कलिउ पडिवि महि-वट्टि । दुसह-पहारिण विहुरियउ मयउ निमीलिय-दिहि ॥ २३०५. ५. पाल हाहु. ८. क. महंतह.
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