________________
५२२
नेमिनाहचरिउ
[२२९१] अह सुसत्तम देव - लोगस्सु
irea देवहि कुक्खिहिं ।
चविऊण सुरिंद-समु अवइन्न तय परिफुरिय-तेय चिंतेइ - अक्खिहिं ॥ जइ पेक्खिस्सइ वणिय-सुउ कंसाहमु सो पावु । ता हरिहइ मह अंगरुहु to चिर-परिचिय - गा ॥
[२२९२]
जाइ वुढिर्हि पुणु विसेसयरु
सो गन्भु कंसाहमिण आसोय-सियमहिं उच्च- द्वाण-परिट्ठियइ
सोमग्गहिहिं निरिक्खियइ पुणु जम्मण लम्गमि ॥
Jain Education International 2010_05
[२२९३]
पावसु य गह - विसेसेसु
एक्कारसमम्मि पर संfore सव्वे यणिहिं । सिरि-वच्छ-लंछिय-वियड- वच्छु सहिउ गुण - सहसरणिहिं || पिसुण- पयासिय-दुव्विणय- तरु- उम्मूलण दक्खु । पसव देव - देवि सुय
रयणु रूव सहसक्खु ॥
अहिवासिणि देवयहिं सद्दाविवि सउरि कयकंस - हयासह तमु कि हउं अहव कि कवि महाहवह
विहिय- रक्खु निय-भडिहिं दक्खिहिं । गयइ चंदि पुणु सवण - रिक्खिहिं ॥ सयल-ग्गह- चक्कम्मि ।
[२२९४]
सूइ-कम्मुवि विउ भरहद्ध
तयणु रूव पिक्खेवि तणयह । को भणिउ देवि मोल्लिण किरिणिय दासि । तिण हउं रक्खिय आसि ॥
For Private & Personal Use Only
[ २२९१
वणिह ॥
www.jainelibrary.org