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________________ ५१२ कमिण पुणु सव्वे - वि पहीण अह अवलोsवि निय-हिययपच्छुत्ताव-दवानलिण पुव्व-लिहिय- अक्खरु मुयइ नेमिनाहचरि [२२४२] सर समुदविजयस्तु जाय - Tor - वेलक्खु निवइ सु । नीहरंत नीसेंस - अमरिसु ॥ । परिउज्झिर - सव्वंगु सरु जायव-कुल- चंगु ॥ [२२४३] समुदविजयस्तु तह जहा त पय-अग्गिय निवडियउ तयणु तेण विम्हइय- हियइण । संगवि सरु नियय- पाणिण ॥ अवलोइय- अक्खरिण समुद विजय- नरनायगिण पढमु विभाविय - चित्ति । अह वाइय गहिर - स्सरिण एरिस अक्खर पंति ॥ जहा [२२४४ ] तुम्ह कणिट्ठो भाया छलेण जो निग्गओ अहेसि घरा । सो वरिस साओ इह आगंतु नमेइ वसुदेवो ॥ ―――― [२२४५ ] अहह जायव - चंस - जस-कलस नर-रयण विउज्झिउण इय चिंतिरु पुणु पुणु वि उत्तरिउण निय-रहवरह इयरु वि नियय-सरूव-धरु स-हरिसु गुरु वंधुस्सु ॥ Jain Education International 2010_05 Tas कत्थ सामत्थु निरुवम् । समुदविजय नरवई स-संभमु ॥ चलिउ समुह सउरिस्सु । [२२४६] सविहि वेगिण गंतु पय- पउम पणमिप्पिणु भत्ति भरु लहु-बंधुहु दुव्विणउ मह वंधव जयवंतु हुउ दुव्विणउ वि जइ खलहं परि २२४६. ७. क. तुहु. ख. तुहं. भणइ भाय मरिसेज्ज सयल वि । समुदविजउ पुणु भणइ विहल कि ॥ तुह दंसणि रण - रंगु । गउ अलग तुह संगुः ॥ - For Private & Personal Use Only [ २२४ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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