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कमिण पुणु
सव्वे - वि पहीण अह अवलोsवि निय-हिययपच्छुत्ताव-दवानलिण पुव्व-लिहिय- अक्खरु मुयइ
नेमिनाहचरि
[२२४२] सर समुदविजयस्तु जाय - Tor - वेलक्खु निवइ सु ।
नीहरंत नीसेंस - अमरिसु ॥
।
परिउज्झिर - सव्वंगु सरु जायव-कुल- चंगु ॥
[२२४३] समुदविजयस्तु
तह जहा त
पय-अग्गिय निवडियउ तयणु तेण विम्हइय- हियइण । संगवि सरु नियय- पाणिण ॥
अवलोइय- अक्खरिण समुद विजय- नरनायगिण पढमु विभाविय - चित्ति । अह वाइय गहिर - स्सरिण एरिस अक्खर पंति ॥
जहा
[२२४४ ] तुम्ह कणिट्ठो भाया छलेण जो निग्गओ अहेसि घरा । सो वरिस साओ इह आगंतु नमेइ वसुदेवो ॥
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[२२४५ ]
अहह जायव - चंस - जस-कलस
नर-रयण विउज्झिउण इय चिंतिरु पुणु पुणु वि उत्तरिउण निय-रहवरह
इयरु वि नियय-सरूव-धरु स-हरिसु गुरु वंधुस्सु ॥
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Tas कत्थ सामत्थु निरुवम् । समुदविजय नरवई स-संभमु ॥ चलिउ समुह सउरिस्सु ।
[२२४६]
सविहि वेगिण गंतु पय- पउम
पणमिप्पिणु भत्ति भरु लहु-बंधुहु दुव्विणउ मह वंधव जयवंतु हुउ दुव्विणउ वि जइ खलहं परि
२२४६. ७. क. तुहु. ख. तुहं.
भणइ भाय मरिसेज्ज सयल वि । समुदविजउ पुणु भणइ विहल कि ॥ तुह दंसणि रण - रंगु । गउ अलग तुह संगुः ॥
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