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[२२२६
नेमिनाहचरिउ
[२२२६] ___ अह पुर-ट्ठिय-अवधाईए सव्वे वि नरिंद-सुय रोहिणीए पिहु पिहु निदंसिय । न-उ कत्थ-वि रोहिणिहिं निव-कुमारि दिहि वि निवैसिय ॥ एत्थंतरि पणवह रविण हरि-वंसह सिरि-केउ । गाढ-चमक्किय-विवुह-मणु पढइ फुडक्खरु एउ ॥
[२२२७]
हरिण-लोयणि तुरिउ आगच्छ पेच्छेमु निद्धिच्छणिहिं मज्झ एहु सम-विडवि सहलस । तुह संगम-समूसुयउ लोउ एहु इय निरु निहालसु ॥ अह जा तं रोहिणि नियइ ता तमु तहिं तह लीण । दिहि कह-चि वि जह हवइ वालिज्जंती वीण ॥
[२२२८]
तयणु लोयण-कहिय-मग्गेण सा वाल सउरिहि सविहि गइय गरुय-अणुराय-विहुस्यि । तयणंतरु पुर-अररि- गुरु-उरम्मि तमु स वर-मालिय ॥ तीए तह परिखित्त जह वियलिय-कज्न-क्पिार । खण-मित्तेण वि हुय सयल वसुहाहिवइ-कुमार ॥
[२२२९]
भणहिं पुणु परिफुरिय-आडोव सविहम्मि रुहिरह निवह अहह किह णु तं-पि-हु उवेक्खिसि । सरिया इव नीय-गइ दुहिय अहव कि न बरु वि पेवखसि ॥ जइ वा वहुइण किमियरिण इमहं नरिंदह मजिस । वियरसु कसु वि नराहिवह दुहिय म विहल निशि ॥
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