________________
[२२१८
नेमिनाहचरिउ [२२१८]
अमर-मंदिर-रिद्धि-चोरम्मि सिरि-गंधसमिद्धि पुरि दलिय-सयल-रिउ-राय-दप्पह । गंधारपिंगल-निवह सन्निहाणि निययस्सु वप्पह ॥ तेण वि आणंदिय-मणिण सुह-मुहुत्ति निय-कन्न । सा पसरंत-महूसविण सउरि-कुमारह दिन्न ॥
[२२१९]
अह ललंतउ तीए सह दछु वसुदेवु देव्वह वसिण सुप्पगेण तेणेव पाविण । हरिऊण गोदावरिहि नइहि तीरि परिखित्तु वेगिण ॥ इयरो वि-हु तरिऊण नइ सज्जण-कमल-सरम्मि । सुकय-सेन्न-परिवारियउ गउ कोल्लाग-पुरम्मि ॥
[२२२०]
तत्थ पुण सिरि-पउमरह-रायकुल-गयण-मयंक-पह पउम-वयण पउमसिरि-नामिय । परिणेइ महा-महिण सउरि-कुमरु निय-जणय-दिनिय ॥ अह चंपा-सरवरि खिविउ हरिवि नीलकंठेण । तत्थ वि परिणइ निव-दुहिय सलिलु तरिवि हरिसेण ॥
[२२२१]
अह तिसेहर-सुइण तेणेव । सामरिसिण सुप्पगिण पुण-वि हरिवि सुर-सरिहिं खिवियउ । तत्तो वि-हु उत्तरिवि गुरु-अरन्नि पल्लीए सु गयउ ॥ तत्थ वि परिणइ पल्लिवइ- कन्नय जराकुमारि । तीए सह वट्टइ विसय- सुह-रसि पंच-पयारि ॥ २२१८.७. क. सुहु. २२१९. १. क. ललंत; ८. क. परिवारिउ. २२२१. ३. क. पुणहि. ७. क. कन्न.
____Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org