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________________ २२१७ ] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु [२२१४] देइ स- वहिणि उमर - नाम पसरंत महसविण अह डिंभग-नाममिण जंपिउ जह जिण विथरिय निय-कुल- नहयल-ससिपहह [२२१५] सो जयस्तु वि. परम-उवयारि अ-विलंविण पेसवसु अह कंचण-रहि चडिवि भणिवि - जरासंध्रेण तुहुं अज्जु वज्झु आणत्तु । परिवेढेविणु चउ-दिसिहिं असिहिं हणिउमाढत्तु । सुइ-मुहुत्ति हरिवंस-तिलयह । * नरिण पुरउ जियसत्तु - रायह ॥ जीविउ तुज्झ पियाए । नं दिसे - नामा ॥ नरनाहह जह - किह णु अह जंपहि इयर जह को-विजु करिहइ सञ्ज-तणु तसु नंदण तुह होहिसइ तिण आयरिण आता हि इय Jain Education International 2010_05 सन्निहाणि जरसंघ - निवइहि । चलिउ सउरि जा ताव सुहडिहि ॥ [२२१६] तणु पणिउ भडिहिं जियसत्तु हु व आण देविण । हिउ पहुहु नेमित्ति - पुरिसिण ॥ नंदिसेण तु धूय । नूण कर्यंत दूय ॥ [२२१७] इय सुणेविणु मुणिय- निय-धूय पत्थुयत्थि जरसंघ - निवइण || निहणिय इहु अज्जु अइरिण || एत्थतरिक्त कि तहं सयलहं वि भडाहं । अवहरिण [ पहाव हि ] नीउ मज्झ खयराहं ॥ * The portion from 2214 5 to 22184 is dropped in ख. २२१७. ८. The letter between पहाव and हैं. is wiped out in क. i. e. it is पहाव हं. ૪ ५०५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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